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________________ हिन्दी अनुवाद :- फिर भानुदेव ने कहा - पहले तेरे द्वारा देखे गये स्वप्नार्थ का यत्किंचित् निश्चय कर सका हूँ! उसे तूं सुन! गाहा : एसा हु कणगमाला माला होहित्ति, तीए जो रागो। तग्गहणं तं जाणसु वरणं पुण तीए अप्पत्ती ।। २१३।। संस्कृत छाया : एषा खलु कनकमाला माला भविष्यति तस्या यो रागः । तद्ग्रहणं त्वं जानीहि वरणं पुनः तस्या अप्राप्तिः ||२१३|| गुजराती अर्थ :- प्रथम जे ते पुष्पोनी माला जोई ते ते आ कनकमाला जाणवी, तेणीनो जे राग ते तेनु ग्रहण जाणवु, वळी तेणीनी अप्राप्ति ते लग्न जाण। हिन्दी अनुवाद :- तूंने प्रथम जो पुष्पमाला देखी उसे कनकमाला, उनके पर जो राग, वही उसका ग्रहण, पुन: उसकी अप्राप्ति वह लग्न जान। गाहा : एत्तियमेत्तो अत्थो परिप्फुडो ताव जाणिओ हु मए। सेसंपि हु अव्वत्तं वियाणियं किंचि तं सुणसु ।। २१४।। संस्कृत छाया : एतदमात्रोर्थो परिस्फुटः स्तावद् ज्ञातः खलु मया। शेषमपि खलु अव्यक्तं विज्ञातं किञ्चित् तत् शृणु।।२१४।। गुजराती अर्थ :- आटलो मात्र अर्थ हुं स्पष्ट समजी शाक्यो छु वळी बाकीचें कंडक अस्पष्ट पणे जाणु छु ते तुं सांभळ? हिन्दी अनुवाद :- इतना ही अर्थ मैं स्पष्टता से समझ सका हूँ, दूसरा कुछ अस्पष्टता से ज्ञात है वह भी तूं सुन। गाहा : कोवि उवाएण इमं अप्पिस्सइ तुज्झ सा पुणो कहवि। भट्ठा तुह हत्थाओ पाविस्सइ आवई गरुई।। २१५।। संस्कृत छाया : कोऽप्युपायेनेमां अर्पिष्यते तुभ्यं सा पुनः कथमपि। भ्रष्टा तव हस्तात् प्राप्स्यते आपत्तिं गुर्वीम्।।२१५।। गुजराती अर्थ :- कोईपण उपाय वड़े ते कनकमाला तने आपशे अने तारा हाथ मां थी पडी गयेली ते दुर्धर आपत्तिने पामशे। 206 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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