SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद :- किन्तु ऐसा प्रसंग होना मुझे अति दुर्घट लगता है। क्योंकि राजपुत्र से विवाहित ऐसी वह मेरी कैसे होगी। गाहा : एवं विचिंतिऊणं तंबोल-पयाण-पुव्ययं भणिया। जं किंचि एत्थ होही दीसिस्सइ तं सयं अंबे!।। २१०।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य ताम्बुलप्रदानपूर्वकं भणिता। यत् किञ्चिद् अत्र भविष्यति द्रक्ष्यति तत्स्वयं हे! अम्ब ।।२१०।। गुजराती अर्थ :- आम विचार करीने तांबूल आपवा पूर्वक मारा वड़े सोमलता कहेवायी, हे माता! अहीं जे कांई थाय ते स्वयं देखासे। हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सोचकर तांबूल प्रदान करते हुए मैने सोमलता से कहा, माता! यहाँ जो कुछ भी हो वह दीखेगा। गाहा : भणियं सोमलयाए एवं एयंति नत्थि संदेहो। तत्तो विहिय-पणामा उट्ठिय स-ट्ठाणमणुपत्ता।। २११।। संस्कृत छाया : भणितं सोमलतया एवं एतदिति नास्ति संदेहः। ततो विहित-प्रणामोत्थाय स्वस्थानमनप्राप्ता।।२११।। गुजराती अर्थ :- सोमलता-ए कह्यु 'आम ज' थशे आमा कोई संदेह न को।' एम कहीने प्रणाम कटीने उठीने पोताना स्थाने ते गई। हिन्दी अनुवाद :- सोमलता ने कहा “ऐसा ही होगा इसमें कुछ भी सन्देह नही है'। ऐसा कहकर प्रणाम कर अपने स्थान पर चली गई। गाहा : स्वप्न नो अर्थ अह भणइ भाणुवेगो पुव्विं दिट्ठस्स तस्स सुमिणस्स। लेसेण कोवि अत्थोऽवधारिओ ताव तं सुणसु।। २१२।। संस्कृत छाया : अथ भणति भानुवेगः पूर्वं दृष्टस्य तस्य स्वप्नस्य। लेशेन कोऽपि अर्थोऽवधारितस्तावत् तं श्रृणु।।२१२।। गुजराती अर्थ :- हवे भानुवेग बोल्यो, पहेला जोयेला तारा ते स्वप्ननो लेश-मात्र में अर्थनो निश्चय कर्यो छे तेने तुं सांभळ। 205 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy