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________________ हिन्दी अनुवाद :- मैने सोचा कि केवली भगवंत ने मुझे जिस लिये कहा कि, पूर्वभव के स्नेह से युक्त पत्नी मेरी प्रिया होगी, इसलिये यह हुआ है। गाहा : संभवइ नूण अम्हं अवरोप्पर-दंसणाओ अइगरुओ। अणुराओ जाओ जं सुम्मइ लोय-प्पवाओ य ।।२०७।। संस्कृत छाया : संभवति नूनं आवयोः परस्परं दर्शनादतिगुरुकः। अनुरागो जातो यत् श्रूयते लोकप्रवादश्च ।।२०७।। गुजराती अर्थ :- खरेखर अमने बल्लेने परस्पर जोवामात्र थी गाढ़ । अनुराग थयो छे, अने आ प्रमाणे लोकप्रवाद पण संभळाय छे। हिन्दी अनुवाद :- निश्चय ही हम दोनों को दृष्टिपात से गाढ़ अनुराग हुआ है और इस प्रकार लोकप्रवाद भी सुनाई देता है। गाहा : जाइसराइं मन्ने इमाइं नयणाई सयल-लोयस्स। वियसंति पिये दिढे अव्वो! मउलिंति वेसम्मि ।।२०८।। *संस्कृत छाया : जातिस्मराणि मन्ये इमानि नयनानि सकल-लोकस्य। विकसन्ति प्रिये दृष्टे अहो! मुकुलयन्ति द्वेष्ये ।।२०८।। गुजराती अर्थ :- जातिनु स्मरण करनारा दरेक मनुष्यना नेत्री प्रियना दर्शन थवा मात्रथी विकसित थाय छ। अने द्वेषीने जोवा मात्रथी नेत्रो मींचाई जाय छे। हिन्दी अनुवाद :- मुझे लगता है कि जातिस्मरण से, सभी मनुष्यों को प्रिय के दर्शन से लोचन विकसित होते हैं और द्वेषी को देखने से नेत्र बंद हो जाते हैं। गाहा : ता भवियव्वं इमिणा नवरं अइदुग्घडम्ह पडिहाइ। जं सा राय-सुएणं वरिया कह मज्झ होहित्ति? ।। २०९।। संस्कृत छाया : तस्माद् भवितव्यमनेन नवरं अतिदुर्घटं मम प्रतिभाति।। यत् सा राजसुतेन वृत्ता कथं मम भविष्यतीति? ||२०९।। गुजराती अर्थ :- परंतु आवो प्रसंग बनवो मने अतिदुर्घट लागे छे कारण के राजपुत्र वड़े परणेली ते मारी केवी रीते थशे?। 204 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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