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हिन्दी अनुवाद :- हे नाथ! इस प्रकार कनकमाला ने मेरे द्वारा कहलाया है। पुनः सविशेष कहा है कि आपके अलावा किसी भी पुरुष का हाथ मेरे हाथ से जुड़ नहीं सकेगा।
गाहा :
देवय- वयणं जइ होइ सच्चयं ता धरेमि निय- पाणा । तदभावे पुण सरणं मरणं मह निच्छओ एसो ।। २०४ ।। संस्कृत छाया :
देवतावचनं यदि भवति सत्यं तस्माद् धारयामि निजप्राणान् । तदभावे पुनः शरणं मरणं मम निश्चय एषः ||२०४ ।। गुजराती अर्थ :- जो देवता वचन सत्य थशे तो हुं प्राणोने धारण करीश अन्यथा मरण एज मारू शरण छे। आ मारो निश्चय छे। हिन्दी अनुवाद :यदि देवता - वचन सत्य होगा तो मैं प्राणों को धारण करूंगी, अन्यथा मरण ही शरण है, यह मेरा निश्चय है।
मननी शांति
भो सुप्पट्ट ! एवं सोमलया-वयण-सवणओ तइया ।
जायं मणयं मह माणसस्स सत्यत्तणं तत्तो ।। २०५ ।। संस्कृत छाया :
भोः ! सुप्रतिष्ठ! एवं सोमलता-वचन श्रवणतस्तदा । जातं मनाग् मम मानसस्य स्वस्थत्वं ततः ।। २०५|| गुजराती अर्थ :- हे सुप्रतिष्ठ! आ प्रमाणे सोमलताना वचन श्रवणथी त्यारे मारू मन कांइक स्वस्थाताने पाम्यु।
हिन्दी अनुवाद :- हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार सोमलता के वचन से मेरा मन कुछ स्वस्थता को प्राप्त हुआ।
गाहा :
गाहा :
एवं विचिंतियं मे केवलिणा जेण एरिसं भणियं । पुव्व- भव-: - नेह- बद्धा होही भज्जत्ति, ता एयं ।।२०६ ।। संस्कृत छाया :
एवं विचिन्तितं मम केवलिना येनेदृशं भणितम् । पूर्वभवस्नेहबद्धा भविष्यति 'भार्या' इति तस्मादेतद् ।।२०६ ।। गुजराती अर्थ :- मे विचार्य के केवली भगवंते मने जे कारण थी कह्युं छे के, पूर्वभवना स्नेह थी बंधायेल पत्नी मारी भार्या थशे, तेथी आ बधु थयु छे ।
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