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गाहा :
सुचिरं विचिंतिऊणवि तेण जणेणं न संगमो ताव।
पुन्न-रहियाए मज्झं हय-विहिणो विलसिय-वसेण।।१५०।। संस्कृत छाया :
सुचिरं विचिन्त्याऽपि तेन जनेन न सङ्गमो तावत्।
पुन्यरहिताया मम हत-विधेः विलसित-वसेन ||१५०।। गुजराती अर्थ :- लांबा काळ सुंधी विचारीने पण पुण्यरहित, मारो दुर्दैवना विलास ने कारणे चित्रवेग साथे समागम न थयो। हिन्दी अनुवाद :- लम्बे काल तक सोचने पर भी पुण्यहीन, मेरा दुर्दैव के ही विलास से चित्रवेग से समागम नहीं हुआ। गाहा :
अच्छउ संगम-सोक्खं दंसण-आसावि दुल्लहा जाया।
जाए तस्स विओगे फुटुंतं धारियं हिययं ।। १५१।। संस्कृत छाया :
आस्तां सङ्गमसौख्यं दर्शनाशापि दुर्लभा जाता।
जाते तस्य वियोगे भ्रंशमानं धृतं हृदयम् ||१५१।। गुजराती अर्थ :- तेना सङ्गमनु सुख तो दूर रहो, पण दर्शननी आशा पण दुर्लभ थई छे। अने तेनो वियोग थये छते फुटि जता हृदयने में हजी सुधी धारण की राख्यु छे। हिन्दी अनुवाद :- उन के सङ्गम का सुख तो दूर रहो किन्तु दर्शन की आशा भी दुर्लभ है और उनके वियोग से त्रुटित हृदय को मैंने अब तक धारण- करके रखा है। गाहा :
ता का अज्जवि आसा जेण तुमं हियय! फुट्टसि न झत्ति ।
खण-मित्त-दिट्ठ-वल्लह-विओय-वजेण दलियंपि? ।।१५२।। संस्कृत छाया :तस्मात् का अद्यापि आशा येन त्वं हे हृदय! स्फूटसि न झटिति। क्षणमात्र-दृष्ट-वल्लभ-वियोग-वजेण दलितमपि? ||१५२।। गुजराती अर्थ :- तेथी हजी पण तने शुं आशा छे? जे कारणथी क्षणमात्र जोयेला-प्रियना वियोगरूप वज़थी भेदायेलु पण हे हृदय! तुंहजी पण जल्दी थी केम भेदातुं नथी? हिन्दी अनुवाद :- अत: अभी भी क्या तुझे आशा है? जिस से क्षणमात्र दृष्टिपात किए प्रिय के वियोगरूप वज्र से भेदित होने पर भी हे हृदय! तूं क्यों जल्दी से नष्ट नही होता है?
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