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________________ हिन्दी अनुवाद :- तब मैने सोचा - कि यह अपना घर छोड़कर एकाकिनी उद्यान में क्यों आयी है? गाहा: ता एईइ अदिट्ठा पच्छन्न-ठिया निएमि जं कुणति। विनाय-सरूवत्था एसा निय-जणय-वयणस्स।।१४७।। संस्कृत छाया : तस्मादेतस्या अदृष्टा प्रच्छन्नस्थिता पश्यामि यत् करोति। विज्ञातस्वरूपार्था एषा निज-जनक-वचनस्य ।।१४७।। गुजराती अर्थ :- आ कारणथी पोताना पिताना वचनना सारने जाणेली आ जे करे ते कुंएणीने नहि देखाती छूपी रीते जोउं। हिन्दी अनुवाद :- पिताजी के वचन के भावार्थ को जानकर यह यहाँ अकेली जो करे उसे मैं यहा छुपकर देखू। गाहा : एवं विचिंतिंऊणं तुहिक्का कयलि-थंभ-अंतरिया। खणमेगं जा चिट्ठामि तत्थ ता सुणसु जं जायं ।।१४८।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य तूष्णीका कदलिस्तंभान्तरिता । क्षणमेकं यावत् तिष्ठामि तत्र तावत् श्रुणु यज्जातम् ।।१४८।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे विचाटीने मौन पूर्वक कदलिवृक्षनी अंदर छूपायेली एक क्षण मात्र उभी छु तेटलीवारमा त्यां जे थयु ते तुं सांभळ। हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सोचकर मौनपूर्वक कदलीवृक्ष के भीतर छुपकर क्षण-मात्र खड़ी हूँ उतने में वहाँ जो हुआ वह सुन। गाहा : दीहं नीससिऊणं एवं भणियं तु कणगमालाए। अज्जवि किमित्थ बहुणा विगप्प-संकप्प-जालेणं? ।।१४९।। संस्कृत छाया: दीर्घ निःश्वस्य एवं भणितं तु कनकमालया। अद्यापि किमत्र बहुना विकल्प-संकल्प-जालेन? ||१४९|| गुजराती अर्थ :- दीर्घनिःश्वासने छोडीने कनकमाला आ प्रमाणे बोलवा लागी - “हवे घणा संकल्प-विकल्प करवाथी कांई थवानुं नथी।" हिन्दी अनुवाद :- दीर्घ निःश्वास छोड़कर कनकमाला इस प्रकार बोलने लगी, “अब संकल्प-विकल्प करने से कोई फायदा नहीं है।" 184 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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