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________________ हिन्दी अनुवाद :- अत: मैने कहा, हे स्वामिनी! क्या आप पुत्री के स्वभाव से अज्ञात हो? कि आप इस प्रकार मुझे ऐसा आदेश दे रही हो। गाहा: मनिस्सइ वीवाहं जं सा अण्णस्स, अच्छउ सुदूरं। सोउं पउत्तिमेयं मन्ने जीयं परिच्चयइ।।१२६।। संस्कृत छाया : मन्ता विवाहं यत् सा अन्यस्य आस्तां सुदूरम्। श्रुत्वा प्रवृत्तिमेतां मन्ये जीवितं परित्यजेत् ।। १२६।। गुजराती अर्थ :- ते बीजानी साथे लग्न करे ते वात तो दूर रहो पण हुं मानु छु के प्रवृत्तिमात्रने सांभळी ने पण ते प्राणोनो त्याग करशे! हिन्दी अनुवाद :- अन्य पुरुष के साथ शादी की तो बात दूर रही किन्तु प्रवृत्तिमात्र सुनते ही वे प्राणो को छोड़ देगी, ऐसा मुझे लगता है। गाहा : मह वयणं सोऊणं गुरु-दुक्ख-समाहया भणइ तत्तो। वियलंत-सकज्जल-नयण-सलिल-सामलिय-गंड- यला।।१२७।। संस्कृत छाया : मद् वचनं श्रुत्वा गुरुदुःख-समाहता भणति ततः। विचलत्-सकज्जल-नयनसलिल-श्यामलित-गण्डस्थला ।।१२७।। गुजराती अर्थ :- मारा वचनने सांभळीने नेत्रोमांथी काजल अश्रुने बहावती तेना गंडस्थल भीना थइ गया तथा भारेदुःखथी आघात पामेली आ प्रमाणे कहे छ। हिन्दी अनुवाद :- मेरे वचन सुनकर नेत्र से कज्जल सहित अश्रु को बहाती उसके कपोल भी भीग गये हैं, तथा भारी दुःख से पीड़ित वह इस प्रकार बोलने लगी। गाहा :जं भणसि तुमं भद्दे! मज्झवि हिययम्मि फुरइ तं सच्च। नवरं हयास-विहिणो वसेण अइ-दुक्करं जायं ।।१२८।।युग्मम्।। संस्कृत छाया : यद् भणसि त्वं हे भद्रे! ममापि हृदये स्फुरति तत् सत्यम्। नवरं हताशविधेर्वशेनातिदुष्करं जातम् ।।१२८||युग्मम् ।। गुजराती अर्थ :- हे भद्रे! तु जे बोले छे मारा हृदयमां पण ते ज सत्य लागे छे। परंतु हताश पामेल विधिना वशथी अतिदुष्कर दुःख आवी पडयु छे। 177 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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