________________
हिन्दी अनुवाद :- तब मैने कहा, आप स्वयं ही कनकमाला के भाव सम्यक् रूप से जानते हो, अतः इस विषय में मैं आपको क्या कहूँ?
गाहा :
तो भाइ चित्तमाला तीए गंतूण भावमुवलभसु । इच्छइ व नवा अन्नं पुरिसं गुण-दोस कहणेण ? ।। १२३ । । संस्कृत छाया :
ततो भणति चित्रमाला तस्या गत्वा भाव - मुपलभस्व ।
इच्छति वा न वा अन्यं पुरुषं गुणदोषकथनेन ? । । १२३ । । गुजराती अर्थ त्यारे चित्रमालाए कछु तेणीनी पासे जईने अन्य पुरुषना गुण के दोष कहेवाथी ते अन्यपुरुषने ईच्छे छे के नही ते तेणीना
भावने तुं जाण । हिन्दी अनुवाद :तभी चित्रमालाने मुझसे कहा- तूं उनके पास जा और अन्य पुरुष के गुण और दोष कहने पर क्या वह उसकी इच्छा करती है उसके इन भावों को
पहचान |
गाहा :
--
नहवाहणं पसंसिय अब्भहिय- गुणेहिं, निंदिऊणन्नं ।
तह कुणसु जहा इच्छइ वीवाहं एय-तणएण । । १२४ । । संस्कृत छाया :
नभोवाहनं प्रशंस्याभ्यधिकगुणैः निन्दित्वा अन्यम् ।
तथा कुरु यथा इच्छति विवाहं एतत्तनयेन ।।१२४ ।। गुजराती अर्थ :- नभोवाहननी अधिकगुणो वड़े प्रशंसा करीने अने अन्यनी निन्दा करीने आ नभवाहननी साथै लग्न करे ते प्रमाणे तुं कर । हिन्दी अनुवाद :- नभवाहन कुमार की अत्यधिक प्रशंसा एवं अन्य की निंदा कर तू ऐसा कर जिससे कनकमाला नभवाहन से शादी कर सके।
गाहा :
तत्तो य मए भणियं सामिणि! किं तं न याणसि सभावं । निय - घूयाए आएसं देसि मह एवं ।। १२५ ।। संस्कृत छाया :
जेणं
ततश्च मया भणितं हे स्वामिनि ! किं त्वं न जानासि स्वभावम् ? | निजदुहितुः येन आदेशं ददासि मम एवम् ||१२५ ।। गुजराती अर्थ :- आथी मे कह्यु हे स्वामिनी ! शुं तुं तारी पुत्रीना स्वभावने जाणती नथी के जेथी आ प्रमाणे मने आदेश आपे छे।
-
Jain Education International
176
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org