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________________ गुजराती अर्थ :- रूपवड़े यौवनवड़े कलावड़े, विद्यावड़े अने निर्मलगुणों वडे, आ सम्पूर्ण वैताढ्यमां प्रख्यात नभोवाहन राजकुमार छे । हिन्दी अनुवाद :रूप, यौवन, कला, विद्या आदि निर्मल गुण युक्त इस सम्पूर्ण वैताढ्य में प्रख्यात नभोवाहन राजकुमार है। गाहा : तत्तो स एव भत्ता कमागओ होउ कणगमालाए । नहु कज्जं अन्नेणं अवाय- - बहुलेण पुरिसेणं ।। १२० ।। संस्कृत छाया : ततः स एव भर्ता क्रमागतो भवतु कनकमालायै । न खलु कार्यं अन्येनापाय- बहुलेन पुरुषेण ।। १२० ।। गुजराती अर्थ :- तेथी क्रम परंपराथी प्राप्त थयेल आ ज कनकमालानो पति थाओ, बीजा अपाय बहुल एवा पुरुषवड़े सर्यु । हिन्दी अनुवाद :- अतः क्रम परम्परा से प्राप्त यही पुरुष कनकमाला का पति हो दूसरे अपाय बहुल पुरुष से क्या काम है ? गाहा : एवं च अमियगइणा भणियाए ताहि चित्तमालाए । भणिया हं सोमलए! किं जुत्तं संपयं काउं ? ।। १२१ ।। संस्कृत छाया : एवं च अमितगतिना भणितया तदा चित्रमालया । भणिता अहं सोमलते! किं युक्तं साम्प्रतं कर्तुम् ।।१२१ ।। गुजराती अर्थ :- त्यारे आ प्रमाणे अमितगतिवड़े कहेवायेली चित्रमाला द्वारा हुं कहेवाइ- “हे सोमलते! हमणां करवा माटे शु योग्य छे?” हिन्दी अनुवाद :- ऐसा अमितगति द्वारा कही गई चित्रमाला ने मुझसे कहा, सोमलते ! अब हमें क्या करना उचित होगा ?" "हे गाहा : तत्तो य मए भणियं तं चेव य इत्थ गहिय- परमत्था । निय - घूयाए सरूवस्स एत्थ किमहं भणामित्ति ? ।। १२२ ।। संस्कृत छाया : ततश्च मया भणितं त्वमेव चात्र गृहीतपरमार्था । निजदुहितुः स्वरुपस्यात्र किमहम् भणामीति ? | | १२२|| गुजराती अर्थ :- त्यारे मे कहयुं तमे पोते ज कनकमालानो विचार सारी रीते जाणो छो आ स्वरूपमां आपने हुं शु कहूं? Jain Education International - 175 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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