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हिन्दी अनुवाद :- पुन: ये पुत्री राजपुत्र को छोड़ चित्रवेग को दी जायेगी तो चित्रवेग .
और अपने सभी के प्राणों का भी संशय होगा। गाहा :
ता सुंदरि! न हु कज्जं अनेहिं एत्थ बहु-विगप्पेहिं ।
तह भणसु कणगमालं जह उज्झइ तम्मि अणुरायं ।।१७।। संस्कृत छाया :
तस्माद् हे सुन्दरि! न खलु कार्य-मन्यै-रत्र बहुविकल्पैः ।
तथा भण कनकमालां यथा उज्झति तस्मिननुरागम् ||११७।। गुजराती अर्थ :- आथी हे सुन्दरि! अहीं बीजा विकल्पो वड़े सर्यु ते प्रमाणे कनक-मालाने समजाव जेथी ते चित्रवेग पर थयेला अनुरागने छोडी दे। हिन्दी अनुवाद :- अत: हे सुन्दरि! अन्य विकल्पों को छोड़कर कनकमाला को ही समझा दे, जिससे वह चित्रवेग पर अनुराग छोड़ दे। गाहा :
किं च उत्तम-कुल-प्पसूओ पियंवओ सयल-जण-मणाणंदो।
सूरो धीरो चाई निय-पिउ-लच्छी-अलंकरिओ ।।११८।। संस्कृत छाया :- किं च
उत्तमकुलप्रसूतः प्रियंवदः सकल-जनमन-आनंदः।
शूरो धीरः त्यागी निजपितृलक्ष्म्यलंकृतः ।।११८।। गुजराती अर्थ :- उत्तमकुलमा उत्पन्न थयेल, प्रियबोलनार, सकल जनना मनने आनंद-आपनार, शूर, धीर, व्यागी पितानी लक्ष्मी थी अलंकृत। हिन्दी अनुवाद :- उत्तमकुल में उत्पन्न हुआ, प्रियवक्ता, सकल जनों के मन को आनन्दित करनेवाला, शौर्यवान, धैर्यवान्, त्यागी पिता की लक्ष्मी से अलंकृत। गाहा :
रूवेण जोव्वणेण य कलाहिं विज्जाहिं निम्मल-गुणेहिं।
विक्रवाओ नहवाहण-कुमरो सव्वम्मि वेयड्डे ।।११९।। संस्कृत छाया :
रूपेण यौवनेन च कलाभिः विद्याभिः निर्मलगुणैः। विख्यातो नभोवाहनकुमारः सर्वस्मिन् वैतान्ये ।।११९।।
उत्तम-कुल-प्पसूओ पियव
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