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________________ गाहा : तत्तो य मए भणियं आएसं देह जेण गंतूण । निय-नयरे संजुत्तिं विवाह-कज्जस्स कारेमि ।।१०२।। संस्कृत छाया : ततश्च मया भणितं आदेशं ददस्व येन गत्वा । निजनगरे संयुक्तिं विवाहकार्यस्य कारयामि ।।१०२।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी में कह्यु - ‘मने आदेश आपो जेथी पोताना नगरमां जईने विवाह नी सामग्री तैयार करावू।। हिन्दी अनुवाद :- अतः मैने कहा, “मुझे आज्ञा दीजिए, जिससे अपने नगर में जाकर मैं विवाह की सामग्री तैयार कराऊ। गाहा : तेणाणुन्नाओ हं सिग्धं चिय आगओ इहं सुयणु। रायामच्चेहि समं चंदजसा-5ऽइच्च-नामेहिं ।।१०३।। संस्कृत छाया : तेन अनुज्ञातोऽहं शीघ्रमेवागत इह सुतनो | राज-अमात्यैः समं चन्द्रयश-आदित्य-नामभिः ।।१०३।। गुजराती अर्थ :- "हे सुतनु! आझा पामेलो हुँ गन्धवाहन राजाना चन्द्रयश, आदित्य आदि मन्त्री साथे तुरत अहीं आव्यो। हिन्दी अनुवाद :- हे सुतनु! आज्ञा पाकर गन्धवाहन राजा के चन्द्रयश, आदित्य आदि मन्त्रियों के साथ मैं शीघ्र ही यहाँ आया हूँ। गाहा : एएवि कणगमाला-वरणत्थं आगया मए समयं। कल्ले पभाय-समए किल होइ वरणयं तीए ।।१०४।। संस्कृत छाया : एतेऽपि कनकमालावरणार्थ-मागता मया समकम् । कल्ये प्रभातसमये किल भवति वरणं तस्याः ।।१०४।। गुजराती अर्थ :- आ बधा पण कनकमालाना विवाह माटे माटी साथे आव्या छे आवतीकाले सवारे तेणीनो लग्न महोत्सव छ। हिन्दी अनुवाद :- यह सभी भी कनकमाला के विवाह के लिए मेरे साथ आए हैं। कल प्रात: समय उनके लग्न का महोत्सव है। 169 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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