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________________ गाहा: तुम्ह सुयं मोत्तूणं वेयड-गिरिम्मि होज्ज को अन्नो । विज्जाण चक्कवट्टी जस्स पिया होज्ज मह धूया? ।।९९।। संस्कृत छाया : तव सुतं मुक्त्वा वैताढ्य गिरौ भवेत्कोन्यः । विद्यानां चक्रवर्ती यस्य प्रिया भवेद् मम दुहिता? ||९९।। गुजराती अर्थ :- आ वैताढ्य पर्वत उपर तारा पुत्रने छोडीने बीजो कोण विद्याधरोनो चक्रवर्ती होय जेनी प्रिया मारी पुत्री होय? हिन्दी अनुवाद : - इस वैताढ्य पर्वत पर आपके पुत्र नभोवाहन के अतिरिक्त दूसरा कौन विद्याधरों का चक्रवर्ती हो सकता है जिसकी प्रिया मेरी पुत्री हो? गाहा : लग्न निरूपण एवं च मए भणिए वियसिय-वयणेण राइणाणत्तो । सोमजसो जोइसिओ विवाह-लग्गं निरूवेसु ।।१०।। संस्कृत छाया : एवं च मयि भणिते विकसित-वदनेन राज्ञा आज्ञप्तः। सोमयशो ज्योतिष्को विवाहलग्नं निरूपय ।।१००।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे मारा वड़े कहेवाये छते प्रफुल्लित वदनवाला राजावड़े सोमयश ज्योतीषि आज्ञा करायो के विवाह- मुहूर्त बतावो! हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार मेरे कहने से विकसित मुखवाले राजा द्वारा सोमयश ज्योतीषि आज्ञा पाया कि विवाह का मुहूर्त बताओ! गाहा : तत्तो जोइसिएणं सम्मं आलोचिऊण आइ8 । वइसाह-सुद्ध-पंचमि- रत्तीए सोहणं लग्गं ।।१०१।। संस्कृत छाया : ततो ज्योतिष्केन सम्यगालोच्य आदिष्टम् । वैशाख-सुदि-पञ्चमी-रात्र्यां शोभनं लग्नम् ।।१०१।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी सारी रीते जोईने वैशाख सुद पांचमनी रात्रीमां लग्ननु शुभ मुहूर्त आवे छे एम ज्योतीषिए कहो। हिन्दी अनुवाद :- तब अच्छी तरह से देखकर वैशाख सुदी पंचमी की रात्रि में लग्न का शुभ मुहूर्त आता है, ऐसा ज्योतिषी ने कहा। 168 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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