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________________ गाहा : नहवाहणस्स दिज्जउ सा कज्जा जेण वित्त वीवाहं । नियय- पए ठविऊणं सेवामो ताय-पय- -जुयलं ।। ९६ ।। संस्कृत छाया : नभोवाहनाय दीयतां सा कन्या येन वृत्तविवाहम् | निजकपदे स्थापयित्वा सेवामहे तातपदयुगलम् ।।९६।। गुजराती अर्थ :- आपनी ते पुत्री मारा पुत्र नभोवाहन ने आपो जेथी विवाहकरीने मारा स्थाने तेने स्थापिने हुं पिताना चरणकमलनी सेवा करूं हिन्दी अनुवाद :- आपकी पुत्री मेरे पुत्र नभोवाहन को दीजिए जिससे उसका विवाह करके, अपने स्थान पर स्थापित करके पिताजी के चरणकमल की मैं सेवा करूं। गाहा : - तत्तो मएवि भणियं एत्थत्थे नत्थि किंचि वत्तव्वं । धूया कित्तियमेत्तं पाणावि हु तुम्ह आयत्ता ।। ९७ ।। संस्कृत छाया : ततो मयापि भणितं अत्रार्थे नास्ति किञ्चिद् वक्तव्यम् । दुहिता कियन्मात्रं प्राणा-अपि खलु तवायत्ताः ||९७।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी में कहयुं - “आ संबंधी आपने कोई कहेवानुं ना होय पुत्री तो शुं ? मारा प्राण पण आपने आधीन छे । हिन्दी अनुवाद :- ऐसा सुनकर मैंने कहा - इस विषय में आपको कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, पुत्री तो क्या ? मेरे प्राण भी आपके अधीन हैं। गाहा : सच्चिय धूया धन्ना सुहा जा होइ देव - पायाणं । केवल गिरावि सच्चा जं किज्जइ एरिसे विहिए । । ९८ । । संस्कृत छाया : सैव दुहिता धन्या स्नुषा या भवति देवपादानाम् । केवल गिरोऽपिं सत्या यत्क्रियते ईदृशे विधौ ||१८|| गुजराती अर्थ :- ते पुत्री ने पण धन्य छे के जे आपनी पुत्रवधू थशे, आ प्रमाणे कराये छते केवली भगवंतनी वाणी पण सत्य थशे । हिन्दी अनुवाद :वह मेरी पुत्री कनकमाला भी धन्य है जो आपकी पुत्रवधू होगी और इस प्रकार केवली भगवन्त की वाणी भी सत्य होगी। Jain Education International 167 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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