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________________ गुजराती अर्थ :- करेला विनयवाळो हुं सभामा बिराजमान राजानी पासे बेठो अने परस्पर संभाषणपूर्वक त्यारे ते गन्धवाहनराजाने राज्यविषयक कार्यनुं मे निवेदन कर्यु। हिन्दी अनुवाद :- सभा में विराजित राजा के पास विनययुक्त मैं बैठा, और परस्पर संभाषण द्वारा गन्धवाहन राजा को राज्यविषयक कार्य का मैने निवेदन किया। गाहा : एत्यंतरम्मि सुंदरि! पडिहार-निवेइओ अणुनाओ। अत्थाणम्मि पविट्ठो एगो विज्जाहर-कुमारो।। ४८।। संस्कृत छाया : अत्रान्तरे हे सुन्दरि! प्रतिहारनिवेदितोनुज्ञातः | आस्थाने प्रविष्ट एको विद्याधर-कुमारः ।।४८।। गुजराती अर्थ :- एटलीवारमा हे सुंदरि! द्वारपालवड़े राजा निवेदन कराये छते अनुज्ञा पामेल एक विद्याधर कुमार राजसभामा प्रवेश्यो।। हिन्दी अनुवाद :- हे सुन्दरी! उतनी देर में द्वारपाल द्वारा राजा को निवेदन करने पर अनुज्ञा प्राप्त करके एक विद्याधर कुमार राजसभा में आया। गाहा : विहिय-पणामो रन्नो पारद्धो एरिसं स वज्जरिउं । विज्जाहराण राया वेयड्डे आसि जो देव! ।। ४९।। संस्कृत छाया : विहितप्रणामो राज्ञः प्रारब्ध ईदृशं स व्याहर्तुम् । विद्याधराणां राजा वैताढये आसीद यो हे देव! ।।४९।। गुजराती अर्थ :- राजा ने प्रणाम करीने ते कुमारे आ प्रमाणे बोलवानो प्रारंभ कर्यो 'हे देव! वैताढ्यगिरिमां विद्याधरोना जे एक अधिपति हता। हिन्दी अनुवाद :- राजा को प्रणाम कर के उस कुमार ने बोलना प्रारम्भ किया, “हे देव! वैताढ्यगिरि पर विद्याधरों के जो एक अधिपति थे - गाहा : सुरवाहन मुनीन्द्र संसिद्ध-सयल-विज्जो ससुरासुर-मणुय-लोय-विक्खाओ। सुरवाहणोत्ति नामं विज्जाहर चक्कवट्टित्ति ।।५०।। संस्कृत छाया : संसिद्ध-सकल-विद्यः ससुरासुर-मनुज-लोक-विख्यातः । सुरवाहन इति नामा विद्याधर-चक्रवर्तीति ।।५०।। 151 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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