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________________ गुजराती अर्थ :- ते सांभळीने ते ज क्षणे अमितगति म्लानमुखवाळो थयो अने बोल्यो “अरे! आपणा पर भारे दुःख आवी पड्यू" हिन्दी अनुवाद : - वह सुनकर अमितगति उसी क्षण म्लानमुख वाले हो गए और कहा- 'अरे! अपने ऊपर तो बड़ी आफत आ पड़ी।' गाहा :- दुःख - कारण तो भणइ चित्तमाला पिययम! किं कारणं नु वसणस्स? । तत्तो य अमियगइणा वज्जरियं पिययमे!, सुणसु ।।४५।। संस्कृत छाया : ततो भणति चित्रमाला हे प्रियतम! किं कारणं नु व्यसनस्य? | ततश्चामितगतिना व्याहृतं हे प्रियतमे! शृणु ।।४५|| गुजराती अर्थ :- ते सांभळीने चित्रमालाए कहयुं “दुःख पडवानुं शु कारण? त्यारे अमितगतिए जवाब आप्यो “हे प्रियतमा! सांभळ? हिन्दी अनुवाद :- वह सुनकर चित्रमालाने कहा - "इसमें दुःख का क्या कारण है?' तब अमितगति ने कहा - हे प्रियतमा! सुनिए! गाहा : नर-वइ-कज्जेणेत्तो गंगावत्तम्मि तम्मि नयरम्मि। सिरि-गंधवाहणस्स ओ पासम्मि गओ अहं तइया ।।४६।। संस्कृत छाया : नरपतिकार्येणेतो गङ्गावर्ते तस्मिन् नगरे । श्रीगन्धवाहनस्य ओ पार्श्वे गतोऽहं तदा।।४६|| गुजराती अर्थ :- अहींथी राज्यना कार्य माटे गंगावर्तनगरमां श्रीगन्धवाहनराजा पासे हुँ गयो हतो ते वखते - हिन्दी अनुवाद :- राज्यकार्य के लिए यहाँ से गंगावर्त नगर में गन्धवाहन राजा के पास मैं गया उसी समय - गाहा : कय-विणओ उवविट्ठो अत्थाण-गयस्स राइणो पासे। संभासिएण य तओ निवेइयं राय-कज्जं से।।४७।। संस्कृत छाया : कृतविनय उपविष्टोरास्थानगतस्य राज्ञः पार्श्वे। सम्भाषितेन च ततो निवेदितं राजकार्यं तस्य।।४७।। 150 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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