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गुजराती अर्थ :- एटलीवारमां व्यारे सहसा खेचरनगरथी तेणीना पिता अमितगति आव्या अने परिजने तेमनो विनय कर्यो !
हिन्दी अनुवाद : तभी अचानक ही खेचर नगर से उनके पिता अमितगति आये और परिजनों ने उनका स्वागत किया।
गाहा :
हाय-विलित्तो भुत्तो उवविट्ठो उवरिमाए भूमीए । अहयंपि चित्तमाला - सहिया
तत्थेव
संस्कृत छाया :
स्नात-विलिप्तो भुक्त उपविष्ट उपरिमायां अहमपि चित्रमाला सहिता तत्रैव गुजराती अर्थ :- करेला स्नान, विलेपन अने भोजनवाळा तेओ उपरनी भूमिमां बिराजमान हता त्यां ज हुं पण चित्रमाला साथे गई। हिन्दी अनुवाद :स्नान किये हुए, विलेपन और भोजनवाले अमितगति राजा ऊपरी मंजिल पर जहाँ विराजित थे वहाँ मैं भी चित्रमाला के साथ गई।
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संपत्ता ।। ४२ ।।
गाहा :
कुसल - पउत्तिं पुच्छिय निय-दइयं ताहे चित्तमालाए । निय- घूयाए पउत्ती सव्वावि हु तस्स अक्खाया ।। ४३ ।। संस्कृत छाया :
गाहा : -
कुशल प्रवृत्तिं पृष्टवा निजदयितं तदा चित्रमालया ।
निज दुहितुः प्रवृत्तिः सर्वापि खलु तस्मै आख्याताः ।। ४३ ।। गुजराती अर्थ :- पहेला पोताना स्वामीने कुशल वार्ता पूछीने त्यारबाद चित्रमालाए पोतानी पुत्रीनी समस्त वात पति अमितगतिने कही। हिन्दी अनुवाद :- सर्वप्रथम, स्वामी का कुशल समाचार पूछकर, चित्रमाला ने पुत्री की समस्त कहानी स्वामी अमितगति को बताई ||
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भूम्याम् ।
सम्प्राप्ता ।। ४२ ।।
आपत्ति आववी
तं सोउं अमियगई साम- मुहो तक्खणेण संजाओ ।
भाइ अहो! अइगरुयं समागयं अम्ह वसणंति ।। ४४ ।। संस्कृत छाया :
तत्श्रुत्वा अमितगतिः श्याममुखस्तत्क्षणेन सञ्जातः । भणति अहो ! अतिगुरूकं समागतमस्माकं व्यसनमिति ।। ४४ ।।
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