________________
गुजराती अर्थ :- तेने कुशलपूर्वक जल्दी पाछा आवी जवा दो पछी ते मोटा महोत्सव पूर्वक चित्रवेग साथे तारो विवाह करो। हिन्दी अनुवाद :- उन्हें कुशलक्षेम शीघ्र ही लौट आने दो फिर वे, बड़े महोत्सव के साथ तेरा विवाह चित्रवेग के साथ करेंगे।
गाहा :
एसोवि चित्त-मासो वित्त-प्पाउत्ति लब्भिही लग्गं।
सिग्घं चिय पुत्ति! तुमं मा काहिसि किंचि उव्वेयं।।३९।। संस्कृत छाया :
एषोऽपि चैत्रमासो वृत्त (गत) प्राय इति लप्स्यते लग्नम्।
शीघ्रमेव हे पत्रि! त्वं मा करिष्यसि किञ्चिदुद्वेगम् ||३९।। गुजराती अर्थ :- आम पण आ चैत्र मास प्रायः समाप्त थइ गयो छे। तेथी लग्न मुहूर्त पण जल्दी प्राप्त थशे माटे हे पुत्रि! तुं जरा पण उद्वेग करीश नहिं। हिन्दी अनुवाद :- यह चैत्र मास भी अभी प्रायः पूर्ण हो गया है अत: लग्नमुहूर्त भी शीघ्र ही प्राप्त होगा। इसलिये हे पुत्री! तू तनिक भी चिन्ता नहीं करेगी।
गाहा :
एवं निय-जणणीए भणिया सा विगय-विरह-संतावा ।
जाया मणयं सत्था समुट्ठिया ताहे से जणणी।।४०।। संस्कृत छाया :
एवं निज-जनन्या भणिता सा विगतविरहसंतापा |
जाता मनाक स्वस्था समुत्थिता तदा तस्या जननी ।।४०।। गुजराती अर्थ :- आ प्रमाणे पोतानी माता वड़े कहेवायेली ते विरहना संतापथी रहित कांईक स्वस्थ थई त्यारे तेनी माता उभी थई। हिन्दी अनुवाद :- इस प्रकार अपनी माता चित्रमाला द्वारा सान्त्वना देने पर वह विरह के संताप से कुछ स्वस्थ हुई तब उनकी माता खड़ी हो गईं। गाहा :
अमितगतिर्नु आगमन एत्यंतरम्मि सहसा समागओ ताओ खयर-नयराओ।
अमियगई से जणओ कय-विणओ परियणेणेसो ।।४१।। संस्कृत छाया :
अत्रान्तरे सहसा समागतस्तदा खेचर नगरात् । अमितगतिस्तस्या जनकः कृतविनयः परिजनेन एषः ||४१।।
148
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org