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________________ गाहा: गह-गहिया इव बाला असमंजस-चेट्ठियाइ कुणमाणा। हसियावि सहि-जणेणं नवि जाणइ किंचि हय-हियया।।३०।। संस्कृत छाया : ग्रहगृहीतेव बाला असमंजस - चेष्टितानि क्रियमाणा । हसिताऽपि सखीजनेन नाऽपि जानाति किञ्चिद् हतहृदया ||३०|| तिसृभिः कुलकम्।। गुजराती अर्थ :- ग्रह थी ग्रस्त थयेली बालिकानी जेम असमंजस चेष्टाने करती अने सखीजन वड़े हास्य पामती पण हणायेला हृदयवाली आ कोई पण जाणती नथी। हिन्दी अनुवाद :- पागलपन से ग्रसित बालिका की तरह असमंजस चेष्टा करती हुई एवं अपनी सखियों से हास्यपात्र बनती हई भी आघात से शून्य हृदयवाली वह कुछ भी नही जानती। गाहा : तं पेक्खिऊण य मए विचिंतियं जाव मुयइ नो पाणे। गुरु-अणुरागा एसा ताव उवायं विचिंतेमि।।३१।। . संस्कृत छाया : तां प्रेक्ष्य च मया विचिन्तितं यावद् मुञ्चति न प्राणान्। गुर्वनुरागादेषा तावदुपायं विचिन्तयामि ।।३१।। गुजराती अर्थ :- तेवाप्रकारनी तेणीने जोई ने मे विचार्यु गाढ़ अनुरागथी ज्यां सुधीमां आ प्राणोने न छोडे त्यां सुधीमा हुँ कोइक उपायने विचारु! हिन्दी अनुवाद :- उसकी ऐसी हालत देखकर मैंने सोचा, अति अनुराग से जब तक कनकमाला प्राणों का त्याग न करे तब तक मैं कुछ उपाय सोच लूँ। गाहा :- माता चित्रमाला तत्तो तव्वुत्तंतो कहिओ गंतूण चित्तमालाए। तज्जणणीए उ मए एगंत-गयाए सव्वोवि ।।३२।। संस्कृत छाया : ततस्तवृत्तान्तः कथितो गत्वा चित्रमालायै । तज्जनन्यै तु मया एकान्तगतायै सर्वोऽपि ।।३२।। गुजराती अर्थ :- त्यारपछी मे जइने ते सर्व पण वृत्तान्त एकान्तमां रहेली तेणीनी माता चित्रमालाने जणाव्यो। 145 Jain Education International For Private & Personal Use Only wal www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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