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________________ संस्कृत छाया : इतो विनिर्गतया अमितगति-गृहस्य द्वारदेशे । भूरिजन-संकुले मया न लब्धः प्रवेशोऽपि ||९|| गुजराती अर्थ :- अहींथी गयेली अमितगतिना घरना दरवाजा पासे पहोंची पण घणा लोकोथी खीचोखीच भरेल होवाथी मने प्रवेश पण मळयो नहीं! हिन्दी अनुवाद :- यहाँ से नीकली हुई मैं अमितगति राजा के घर के द्वार पर पहुंच गई किन्तु लोगों की भारी भीड़ होने से मुझे अन्दर प्रवेश नहीं मिला। गाहा : विवाह महोत्सव तत्तो य बंधुदत्तो पत्थुय-वत्थुम्मि पुच्छिया (यो?) भणइ । वरणम्मि एस भहे! महोच्छवो कणगमालाए ।।१०।। संस्कृत छाया : ततश्च बंधुदत्तः प्रस्तुत-वस्तुनि पृष्टो भणति। वरणे एष भने। महोत्सवः कनकमालायाः ।।१०।। गुजराती अर्थ :- अने तेथी प्रस्तुत माहोलने विषे मारा वडे पूछायेलो बंधुदत्त कहेवा लग्यो के “हे भद्रे! कनकमालाना लग्ननो महोत्सव छे।" हिन्दी अनुवाद :- अतः इस सन्दर्भ में प्रतिहारी बंधुदत्त से मैंने पूछा तो उसने मुझे बताया कि, “हे भद्रे! कनकमाला की शादी का यह महोत्सव है।" गाहा : सिरि-गंधवाहण-सुओ गंगावत्तम्मि खयर-नयरम्मि। नहवाहणोत्ति सुम्मइ तस्स विइन्ना कणयमाला ।।११।। संस्कृत छाया : श्रीगन्धवाहनसुतो गङ्गावर्ते खेचरनगरे। नभोवाहन इति श्रूयते तस्मै वितीर्णा कनकमाला ||११।। गुजराती अर्थ : गङ्गावर्त नामना विद्याधरनगरगां श्रीगन्धवाहन नो पुत्र नभोवाहन छे ए प्रमाणे संभळाय छे, तेने आ कनकमाला अपाई छ। हिन्दी अनुवाद :- गङ्गगावर्त नाम के विद्याधरनगर में श्री गन्धवाहन राजा का पुत्र नभोवाहन कुमार है, ऐसा सुनाई देता है, उसे यह कनकमाला अर्पित की गई है। गाहा : एवं वियाणिऊणं समागया एत्थ तुम्ह पासम्मि । कन्न-कडुयंपि तुम्हं साहिज्जइ मंद-भागाए ।।१२।। 138 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525058
Book TitleSramana 2006 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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