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संस्कृत छाया :
तस्माद् भवितव्यं केनाऽपि अत्र ननु कारणेन तदा मया ।
चूतलता व्याहृता समागता अथ इदं भणिता।।६।। गुजराती अर्थ :- ते थी अहीं खरेखर कोइपण कारण होवू जोइये! त्यारे मारा बोलाववाथी आवेली चूतलताने में आ प्रमाणे पूछयु के, - हिन्दी अनुवाद :- इसलिये यहाँ अवश्य कुछ भी कारण होना चाहिये! तब मेरे बुलाने से आई हुई चूतलता को मैने यह पूछा कि - गाहा :
कत्थ इमोतूर-रवो केणव कज्जेण, सम्ममुवलब्भ ।
आगंतूणं भद्दे! सिग्धं चिय कहसु अम्हाणं ।।७।। संस्कृत छाया :
कुत्राऽयं तूर्यरवः केन वा कार्येण सम्यगुपलभ्य ।
आगत्य हे भद्रे! शीघ्रं चैव कथयास्माकम् |७|| गुजराती अर्थ :- हे भद्रे! आ वाजींत्रनो अवाज क्या अने कया कार्य थी थइ रहयो छे ते तुं सारी ते जाणीने अहीं आवीने जल्दीथी अमने कहे। हिन्दी अनुवाद :- हे भद्रे! यह बाजे की आवाज कहाँ और किस हेतु (कारण) से हो रही है यह सम्यग् रीति से जानकर हमें जल्दी बता। गाहा :
गंतूणं चूयलया खणंतराओ समागया, धणियं ।
विच्छाय-वयण-कमला पुट्ठा य मए इमं भणइ ।।८।। संस्कृत छाया:
गत्वा चूतलता क्षणान्तरात् समागता, बाढम् ।
म्लान'-वदन-कमला पृष्टा च मया इदं भणति ।।८11 गुजराती अर्थ :- जईने क्षणवारमा पाछी आवेली, करमायेला मुखकमलवाळी अने, मारा वड़े पूछायेली चूतलता आ प्रमाणे कहेवा लागी। हिन्दी अनुवाद :- जाकर पलभर में वापस आयी हुई, म्लानमुख कमल वाली चूतलता मेरे पूछने पर इस प्रकार कहने लगी। गाहा :
एत्तो विणिग्गयाए अमियगइ-गिहस्स दार-देसम्मि ।
भूरि-जण-संकुलम्मी मए न लद्धो पवेसोवि ।।९।। १. विच्छाय
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