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१२० : श्रमण, वर्ष ५७, अंक २ / अप्रैल-जून २००६
है | विपुल प्राचीन हस्तप्रतें वंशानुगत संग्रहीत हैं। यह ज्ञानवृद्धि के भंडार को बढ़ाने में सक्षम हैं। ये हमारे देश की गौरव गाथा हैं। आज ऐसे ही तीन ग्रंथों का विमोचन करते हुए मुझे हर्ष एवं गौरव का अनुभव हो रहा है ।
केन्द्रीय प्रवास एवं सांस्कृतिक मंत्री सुश्री अंबिका सोनी ने कहा कि सन् १९७६ में राजस्थान के सरदारशहर की यात्रा के बाद मेरा जैन धर्म के प्रति सद्भाव आज तक ज्यों का त्यों चल रहा है। आज आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के हाथों तीन हस्तप्रतों के केटलाग के विमोचन होने से मुझे अत्यन्त आनंद की अनुभूति हो रही है। इन्स्टिट्यूट ऑफ जैनॉलोजी को इस भगीरथ कार्य के लिए खूब - खूब बधाई ।
ब्रिटिश लायब्रेरी में संग्रहीत जैन हस्तप्रतों के संशोधन कार्य में संलग्न डॉ. नलिनी बलबीर ने इन हस्तप्रतों में समाहित व्याकरण, शब्दशास्त्र, नीतिशास्त्र, गणितशास्त्र, खगोलशास्त्र एवं ज्योतिषशास्त्र की बात उजागर की । आपने विश्व विख्यात डॉ. चंद्रभाल त्रिपाठी का संस्मरण करते हुए श्री कनुभाई तथा कल्पनाबहन शेठ के विशेष शहयोग की भूरि-भूरि प्रशंसा की। भारत और ब्रिटेन के संयुक्त सहयोग के बाद अब ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी, विक्टोरिया ऐन्ड आल्बर्ट म्यूजियम इत्यादि अनेक संस्थाओं में विद्यमान जैन हस्तप्रतों के भावी संशोधन के कार्यों का भी आपने उल्लेख किया।
भारत स्थित ब्रिटिश हाई कमिश्नर सर माइकल आर्थर ने दोनों देशों के इस संयुक्त प्रयास को खूब सराहा। साथ ही भविष्य में इस प्रकार के अनेक कार्य होने तथा आपसी सम्बन्ध और मजबूत होने की आशा जताई।
इस भव्य कार्यक्रम के प्रारम्भ में इन्स्टीट्यूट ऑफ जैनोलोजी के अध्यक्ष श्री रतिभाई चंदरया ने अपने स्वागत भाषण में इस भगीरथ कार्य का श्रेय श्री नेमुभाई चंदरया एवं डॉ. कुमारपाल देसाई को दिया। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मनदीप शर्मा कर रही थीं। आभार विधि श्री हर्षदभाई संघराजका ने की।
इस अवसर पर जो महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उपस्थित रहे उनमें श्री एल. एम. सिंघवी, श्री दीपचंद गार्डी, सांसद श्री पुष्प जैन, अभिषेक मनु सिंघवी, यू.एन.ओ. के पूर्व राजदूत श्री एन. पी. जैन, श्री नलिन कोठारी, अमेरिका की 'जैना' संस्था के प्रमुख श्री किरीट दफ्तरी, उपप्रमुख श्री दिलीप शाह, न्यूयार्क के श्री रजनीभाई शाह, दुबई के श्री नितीश दोशी, श्री संवेग लालभाई, श्री बाहुबली शाह, निर्मम शाह, बिपिन दोशी के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
इस समारोह में पार्श्वनाथ विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति के संयुक्तमंत्री श्री इन्द्रभूति बरड़ एवं सहनिदेशक डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय विशेष रूप से
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