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११८ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक २ / अप्रैल-जून २००६ से जैन धर्म एवं जैन दर्शन के ऊपर शोध करने वाले विद्वानों को विशेष लाभ होगा।
कार्यक्रम का समन्वय संस्थान के संयुक्त एवं कार्यकारी निदेशक डॉ. बालाजी गणोरकर ने किया।
संगोष्ठी का शुभारम्भ संस्थान के डा. मोहन पाण्डेय के नमोकार मंत्र तथा पौराणिक मंगलाचरण से हुआ। संगोष्ठी में वल्लभ स्मारक के महामंत्री, उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री राजकुमार जैन तथा डॉ. अशोक कुमार सिंह इत्यादि वरिष्ठ गणमान्य विद्वान उपस्थित थे।
आचार्यश्री विद्यानन्द जी की 82वी जन्म-जयन्ती
नई दिल्ली, २२ अप्रैल २००६। सिद्धान्तचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज के ८२वें जन्मदिवस पर जैन सभा यूसुफ सराय, ग्रीनपार्क ने 'जैन गर्ल्स स्कूल' ग्रीनपार्क एक्सटेंशन में एक विशाल धर्मसभा का आयोजन किया। इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपने गुरुओं चारित्र चक्रवर्ती परमपूज्य
आचार्य श्री शान्तिसागर जी मुनिराज एवं परमपूज्य आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज को नमन करते हुए कहा कि- धर्म कभी तोड़ना नहीं सिखाता इसलिए किसी को भी मत ठुकराओ, सबको गले लगाओ, धर्म सिखाओ। समारोह में अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष श्री नरेश कुमार सेठी एवं महासभाध्यक्ष निर्मल कुमार सेठी को 'भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक महोत्सव' में उनके अतुलनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उनको अपने आशीर्वचन में आचार्य श्री ने कहा कि- जो 'जीओ और जीने दो' की बात कहता है, वह अनेकान्तवाद का ज्ञाता है और जो ‘मरो और मरने दो' की बात करे वह आतंकवाद का पोषक है। अहिंसा ही सर्वश्रेष्ठ जीवन पद्धति है। आचार्यश्री ने सबके मंगलमय जीवन की कामना की।
कोल्हापुर के भट्टारक लक्ष्मीसेनजी ने कहा कि- आचार्यश्री ज्ञानपपिासु हैं। मूडबिद्री के भट्टारक चारुकीर्तिजी, साधना केन्द्र के धर्मानन्द जी, ग्रीनपार्क समाज, नई दिल्ली के अध्यक्ष मुनीश्वर प्रसाद जैन, शोलापुर की विदुषी डॉ. मयूर शाह आदि ने भी विनयांजलि अर्पित की। मंगलाचरण डॉ. वीर सागर जैन एवं मंच संचालन श्री सतीश जैन (आकाशवाणी) ने किया।
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