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________________ ३४ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक १/जनवरी-मार्च २००६ पाणिनि-पूर्व काल के धातुपाठ प्रवक्ता के रूप में इन्द्र, वायु, भागुरि, काशकृत्स्न, शाकटायन तथा आपिशलि के नाम आते हैं। पाणिनि-पूर्व गणपाठ प्रवक्ता के रूप में भागुरि, शन्तनु, काशकृत्स्न तथा आपिशलि के नाम हैं। उणादि पाठ प्रवक्ता के रूप में शन्तनु तथा आपिशलि, लिङ्गानुशासनकार के रूप में शन्तन तथा व्याडि व परिभाषाकार के रूप में काशकृत्स्न तथा व्याडि का उल्लेख प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त पाणिनि व्याकरण में १० वैयाकरणों का उल्लेख नाम के साथ आया है ये हैं- काश्यप, गार्ग्य, गालव, चाक्रवर्मन, भारद्वाज, शाकल्य, सेनक, स्फोटयान, शाकटायन व आपिशल। इनमें से इन्द्र, भागुरि व चारायण के कुछ सूत्र अलग से उपलब्ध होते हैं। उत्तर पाणिनि संस्कृत व्याकरण ___पाणिनि के परवर्ती काल में व्याकरण की सरलता, स्पष्टता तथा भाषा के प्रवाह में आए नवीन शब्दों का व्याकरण में स्थान देने के लिए यद्यपि अष्टाध्यायी . पर वार्तिक', भाष्य एवं वृत्तिग्रंथ९१ लिखे गये, परन्तु कुछ वैयाकरणों ने स्वतंत्र रूप में व्याकरण सम्प्रदायों की भी रचना की। परवर्ती चान्द्र तथा सरस्वती कण्ठाभरण के अतिरिक्त अन्य व्याकरण ग्रंथ वैदिक प्रक्रिया से अलग प्रवृत्ति रखते हैं। वैदिकी प्रक्रिया के अभाव के कारण कातन्त्र, चान्द्र, जैनेन्द्र तथा शाकटायन व्याकरणों को वेदाङ्ग नहीं कहा जाता है।१२ पाणिनि शैली के संस्कृत व्याकरण १. चान्द्र व्याकरण१३ ईसा की पांचवीं शती में चन्द्रगोमिन रचित यह व्याकरण केवल लौकिक संस्कृत पर रचा गया प्रतीत होता है। पंडित युधिष्ठिर मीमांसक ने चान्द्र व्याकरण में वैदिक तथा स्वर प्रक्रिया का होना प्रमाणित किया है।३४ परन्तु स्वर तथा वैदिक प्रकरण संप्रति उपलब्ध नहीं होते। २. जैनेन्द्र व्याकरण ईसा की पांचवीं सदी में जैन सम्प्रदाय के देवनन्दी ने पाणिनीय शैली के आधार पर लौकिक संस्कृत के लिए व्याकरण की रचना की। जैनेन्द्र व्याकरण का उद्देश्य व्याकरण को संक्षिप्त करना है। इसमें पाणिनि से थोड़ी भिन्न शैली अपनायी गयी है। इसमें ५ अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में चार-चार पाद। महावृत्ति संस्करण में ३,००० सूत्र हैं तथा शब्दार्णवचन्द्रिका संस्करण में ३,७०० सूत्र।१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525057
Book TitleSramana 2006 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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