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________________ कर्पूरमञ्जरी में भारतीय समाज : १७ वंति ते तिलजलंजजलिदाणजोग्गा२५। सिसिरोवयारसामग्गीए जलंजली दिज्जइ२६। । शिक्षा और कलाः तत्कालीन समाज में शिक्षा एवं कला उन्नतावस्था में थी। चारों वेदों के साथ अन्य विद्याओं का भी अध्ययन किया जाता था। मंत्र-तंत्र विद्या की साधना भी होती थी। पंचमकार साधना का तांत्रिक मार्ग भी प्रचलित था। भैरवानंद नामक पात्र कौल मत का साधक था। कलाएं उत्कर्ष को प्राप्त थीं। काव्यकला, नाट्यकला, नृत्यकला, गीतकला, चित्रकला, वाद्यकला, भूषणकला, वास्तुकला, माला-निर्माणकला आदि कलाओं का उल्लेख कर्पूरमञ्जरी में मिलता है। वाद्यकला में वंशी, वीणा, मृदंग, कांस्यताल आदि वाद्यों का वर्णन प्राप्त है। लेखनकला का उन्नत रूप मिलता है। केतकी के दल पर भी कस्तूरी मिश्रित स्याही से लेख लिखे जाते थे। कर्पूरमञ्जरी अपना संदेश राजा के पास केतकी दललेख के द्वारा भेजती है।२७ एक स्थल पर ताड़पत्र लेख का भी वर्णन मिलता है। विरह-विदग्ध नायक बार-बार ताड़पत्र को ही देखता है, यद्यपि प्रतिहारी उसके हृदय को अन्यत्र लगाना चाहता है। प्रतिहारी मन ही मन कहता है - कहं अज्ज वि सो ज्जेव सिरितालीपत्तसंचओ ताओ ज्जेव अक्खरपंतीओ२८५ नृत्यकला के अन्तर्गत चर्चरी२९, दंडरासक३०, चल्ली३१ एवं योगिनीवलय आदि लोक नृत्यों का वर्णन मिलता है। अभिनय कला भी वर्णित है। वाद्यादि के मुखौटा पहनकर युवतियां अभिनय करती थीं।२२ नारी की दशाः नारी की दशा अच्छी थी। नारियां शिक्षा और कला में भी पुरुषों से आगे थीं। सुलक्षणा और विचक्षणा के कवित्व के सामने विदूषक की कविता विरस हो जाती है। धार्मिक पूजा पद्धतिः तत्कालीन समाज में सरस्वती, शिव, पार्वती, चामुण्डा, कामदेव आदि देवों की पूजा-पद्धति प्रचलित थी। विवाह के समय चामुण्डा की पूजा होती थी। हिंदोलन चतुर्थी के अवसर पर अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए युवतियां अर्धनारीश्वर की पूजा करती थीं। चामुण्डा के मंदिर का भी वर्णन मिलता है३३। कर्पूरमञ्जरी का विवाह चामुण्डा मंदिर में ही सम्पन्न हुआ था। कर्मवाद का प्रचलन था२४। कौलमत का प्रचलन था३५ इस प्रकार कर्पूरमञ्जरी में उन्नत समाज का वर्णन मिलता है। पारिवारिक सुख-शांति के साथ-साथ शिक्षा कला में भी तत्कालीन समाज सम्पन्न था। नारियों की दशा उन्नत थी। धार्मिक सम्प्रदायों में कौलमत का बोलबाला था। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525057
Book TitleSramana 2006 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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