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श्रमण, वर्ष ५७, अंक १ जनवरी-मार्च २००६
साहित्य सत्कार
(पुस्तक समीक्षा) १. जैन वस्तुस्वातंत्र्यवाद - लेखक - डॉ० अल्पना जैन, प्रकाशक - विश्वविद्यालय प्रकाशन, गौर कॉम्प्लेक्स, परकोटा रोड, सागर-४७०००२ (म०प्र०) पृष्ठ - २२९, प्रथम संस्करण - २००५ मूल्य - ३०० साइज - डिमाई।
प्रस्तुत ग्रन्थ डॉ० अल्पना जैन द्वारा रचित है। इस ग्रन्थ में वस्तुस्वातंत्र्यवाद से सम्बन्धित विषयों पर समीक्षात्मक दृष्टि से विचार किया गया है। वास्तव में वस्तस्वातंत्र्य जैन दर्शन का एक ऐसा सिद्धान्त है जिसमें जैन दर्शन के सभी सिद्धान्त बीजवत निहित हैं जो हमें जीवन को समझने के लिये नवीन दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। यह ग्रन्थ आठ अध्याय में विभक्त है और प्रत्येक अध्याय में वस्तुस्वातंत्र्य को अनेक आयामों से उद्घाटित किया गया है जिससे उसका नवीन रूप पाठक वर्ग के सामने उपस्थित होता है। ऐसा नहीं है कि इस विषय पर अभी तक जो भी कार्य हुए हैं वह महत्त्व नहीं रखते हैं फिर भी प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखिका ने जैन दर्शन के वस्तुस्वातंत्र्य के अन्तर्गत आने वाले सिद्धान्तों को रेखांकित करते हुए न केवल उन्हें नवीन रूप प्रदान किया अपितु उन सिद्धान्तों के परिप्रेक्ष्य में अपने बात को रखने के लिये गहन अध्ययन भी किया है।
अध्यायों के अन्तर्गत प्रत्येक पक्षों की ज्ञानमीमांसीय व्याख्या की गयी है और निश्चय नय तथा व्यवहार नय का प्रयोग भी यथास्थान विषय को सम्पूर्णता प्रदान करने की दृष्टि से किया गया है। इस कार्य के लिये लेखिका बधाई की पात्र है। ग्रन्थ की वाह्याकृति आकर्षक व छपाई सुन्दर है।
डॉ० शारदा सिंह २. भक्ति पाठावली - आचार्य पूज्यपाद द्वारा रचित भक्तियों का महाकवि आचार्य विद्यासागर कृत हिन्दी पद्यानुवाद, प्रकाशक - विद्योदय प्रकाशन, ललितपुर (उ०प्र०), प्रथम संस्करण - २००३, २००० प्रतियां, द्वितीय संस्करण - २००४, ४४०० प्रतियां। साइज - डिमाई, पृष्ठ - ९६।
प्रस्तुत ग्रन्थ आचार्य पूज्यपाद स्वामी विरचित भक्तियों में से नौ भक्तियों का आचार्य विद्यासागर कृत पद्यानुवाद है जो भक्ति पाठावली नामक इस पुस्तक में
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