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विद्यापीठ के प्राङ्गण में : १४३
कुलपति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कहा कि वेद एवं जैन आगम का ज्ञान मात्र आध्यात्मिक ज्ञान ही नहीं है, यह सारे ज्ञान का संग्रह है। वेद सम्पूर्ण मानव मात्र के मूल्य, ज्ञान तथा जीवन के प्रतीक हैं। वेद में विज्ञान और सामान्य ज्ञान दोनों ही सन्निहित हैं। सारस्वत अतिथि के रूप में पधारे प्रख्यात गणितज्ञ प्रो० एस०पी० सिंह, कनाडा ने शून्य पर सारगर्भित व्याख्यान दिया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रो० सुरेन्द्र सिंह, कुलपति, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी ने की। प्रो० सिंह ने मनुष्य को परमात्मा की सर्वश्रेष्ठ रचना बताते हुए कर्म के सिद्धान्त पर जोर दिया।
संगोष्ठी का द्वितीय सत्र अपराह्न ३.०० बजे प्रो० जयप्रकाश सिंह की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ जिसमें पाँच शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये। पत्र वाचकों में डॉ० नन्दलाल जैन, रीवा; डॉ० रेखा चतुर्वेदी, गोरखपुर; डॉ० सोमनाथ नेने, उज्जैन; डॉ० एम०एस० मिश्र, लखनऊ, प्रो० सच्चिदानन्द श्रीवास्तव, गोरखपुर आदि प्रमुख थे।
दिनांक २७.०२.२००६ को प्रात: ९.३० बजे संगोष्ठी का प्रथम सत्र प्रो० राममूर्ति त्रिपाठी की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ। इस सत्र में विभिन्न विषयों पर छ: पत्रों का वाचन हुआ। जिन विद्वानों ने इस सत्र में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए उनमें - डॉ० एम०पी० अहिरवार, वाराणसी; डॉ० सुधा जैन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी; डॉ० सुषमा सिंघवी, जयपुर; डॉ० ईश्वरीशरण विश्वकर्मा, गोरखपुर; प्रो० ब्रजबिहारी चौबे, उज्जैन; डॉ० जानकी प्रसाद द्विवेदी, वाराणसी मुख्य हैं।
द्वितीय सत्र अपराह्न ११.३० बजे प्रो० अंगनेलाल, पूर्व कुलपति, अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद की अध्यक्षता में प्रारम्भ हुआ जिसमें डॉ० वंशीधर भट्ट, जर्मनी; डॉ० विभा उपाध्याय, उज्जैन; डॉ० रमा पाण्डेय, वाराणसी; डॉ० इरावती, वाराणसी; डॉ० शारदा अय्यर, वाराणसी आदि ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया।
तृतीय सत्र अपराह्न २.३० बजे प्रारम्भ हुआ। इस सत्र के अध्यक्ष प्रो० एन०एच० सामतानी थे। इस सत्र में डॉ० हरशिंकर पाण्डेय, डॉ० महेन्द्र पाण्डेय, स०सं०वि०वि०, वाराणसी; प्रो० राममूर्ति शर्मा, उज्जैन, प्रो० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, वाराणसी; डॉ० निहारिका, दिल्ली आदि विद्वानों ने अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये। प्रो० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी ने स्लाइड के माध्यम से अपने शोध-पत्र के अनेक बिन्दुओं को स्पष्ट किया।
इसी दिन संध्या में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था। कवि गोष्ठी प्रो० रेवा प्रसाद द्विवेदी, वाराणसी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। गोष्ठी में भाग लेने
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