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वैदिक ऋषियों का जैन परम्परा में आत्मसातीकरण : १०५
७. “सच्चं चेवोवसेवन्ती, दत्तं चेवोवसेवन्ती, बम्भं चेवोवसेवन्ती। सच्चं
चेवोवहाणवं, दत्तं चेवोवहाणवं, बम्भं चेवोवहाणवं।
वही, पृ० ३। ८. वही, देवल अध्ययन, पृ० ८। ९. वही, पृ० ९। १०. कोहो बहुविहो लेवो, लेवो माणे य बहुविधविधीओ।
माया य बहुविधा लेवो, लोभो वा बहुविध विधीओ।।
वही, पृ० ९। ११. वही, अंगिरस अध्ययन, पृ० १७-१८। १२. वही, पुष्पशाल अध्ययन, पृ० १९! १३. वही, याज्ञवल्क्य अध्ययन, पृ० ४८। १४. बृहदारण्यकोपनिषद्, ३/५/१। १५. ऋषिभाषित - एक अध्ययन, पृ० ४६। १६. ऋषिभाषित, विदुर अध्ययन, पृ० ६७। १७. महाभारत, शान्ति पर्व, ७७/६। १८. उत्तराध्ययन, १४/९। १९. महाभारत, शान्ति पर्व, ७७/७। २०. उत्तराध्ययन, १४/२१। २१. महाभारत, शान्तिपर्व, ७७/८-९। २२. उत्तराध्ययन, १४/२२-२३। २३. प्राकृत प्रापर नेम्स, प्रथम भाग, पृ० १५३। २४. लोकतत्त्वनिर्णय, १४०। २५. महादेव स्तोत्र, ४४। २६. एपिग्रेफिया इण्डिका, भाग नौ, पृ० ६६-७०।
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