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श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६ जनवरी- जून २००५
राजपूत काल में जैन धर्म
किसी भी प्रचलित सिद्धान्त में जब न्यूनता के चिह्न नजर आने लगते हैं, तब उन्हीं तत्त्वों में से ही प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ नवीन सिद्धान्तों के बीज अंकुरित होकर धीरे-धीरे एक नवीन धारा के रूप में पल्लवित एवं विकसित होने लगते हैं। इस प्रतिक्रिया में प्रतिशोध की भावना की अपेक्षा सुधारवादी दृष्टिकोण की भावना का विकास अधिक होता है। किसी मूल सिद्धान्त की त्रुटियों को सुधार कर जिन विचारों के द्वारा उसे नया मोड़ दिया जाता है, वही नया सिद्धान्त कहलाता है। ठीक इसी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत में अन्य धर्मों जैसे 'जैन धर्म' एवं 'बौद्ध धर्म' का प्रादुर्भाव हुआ।
डॉ० महेश प्रताप सिंह *
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जैन मतानुयायियों के अनुसार जैनधर्म प्रागैतिहासिक युग में भी विद्यमान था । उनका तर्क है कि मोहनजोदड़ो की खुदाई में जो योगी की प्रतिमा प्राप्त हुई है, वह उनके प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की है। इतना ही नहीं बल्कि वेदों में आये 'आर्य' शब्दों को भी तीर्थंकरों से जोड़ा जाता है। ऋग्वेद में उल्लिखित " ऋषभ " " शब्द और अथर्ववेद एवं गोपथब्राह्मण में आये "स्वयंभू काश्यप २ शब्दों को ऋषभदेव से समीकृत किया जाता है । जिस पर अनुसंधान की आवश्यकता है। वस्तुतः महावीर के समय इस धर्म का विकास हुआ। महावीर स्वामी ने अपने क्रान्तिदर्शी विचारों से इसे नयी दिशा प्रदान किया। जैन धर्म में तीर्थंकरों का अस्तित्व ईश्वर के समान माना जाता है, यद्यपि इस धर्म में ईश्वर के लिए स्थान नहीं है, जिन्हें साधना के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ उन्हें ‘तीर्थंकर' कहा गया। जैन धर्मानुयायियों के अनुसार उनमें चौबीस तीर्थंकर हुए थे जिन्होंने कालक्रमानुसार जैनधर्म का प्रचार और प्रसार किया। इस धर्म के अन्तर्गत दो प्रमुख शाखायें दिगम्बर तथा श्वेताम्बर थीं, इनके सिद्धान्तों में अत्यधिक अन्तर नहीं था । दिगम्बर सम्प्रदाय के लोग अवश्य ही मोक्ष में अत्यधिक विश्वास करते थे, लेकिन स्त्रियों के सम्बन्ध में नहीं। ये लोग जैन तीर्थंकरों की मूर्तियों की पूजा, पुष्प, धूप, वस्त्र के साथ नहीं करते थे, जैसा कि श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोग करते थे ।
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उत्तर प्राचीन काल में बौद्ध धर्म की अपेक्षा जैन धर्म विशेष उन्नत अवस्था में था। इस समय इसका प्रमुख केन्द्र राजपूताना और गुजरात था। दक्षिण में जैनों को प्राध्यापक, इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, डॉ०रा०म०लो० अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद
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