SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृत भाषा और राजशेखरकृत कर्पूरमञ्जरी में देशी शब्द : ५३ स्वाभाविक रूप से सुन्दर मनुष्य की शोभा भूषणों से नहीं होती है। आगे भी 'अंगं चंगं...' प्राकृत गाथा में इसका प्रयोग हुआ है। १/३०, १/३२ सिहिण: यह देशी शब्द स्तन के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने सिहिण की संस्कृतच्छाया स्तन की है। कर्पूरमञ्जरी में राजा चन्द्रपाल नायिका के सौन्दर्य को रेखाङ्कित करते हुये कहता है कि- तहा सिहिणतुंगिमा जह णिएइ णाहि ण हु। अर्थात् स्तनों की ऊँचाई इतनी है कि वह अपनी नाभि नहीं देख सकती ।१/३३ बोल्लम्मि : यह देशी शब्द वार्तालाप के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने इसकी संस्कृतच्छाया वचने की है। बुन्देलखण्डी भाषा में नायिका का वर्णन करते हुये राजा चन्द्रपाल सोल्लास कहता है कि- बोल्लम्मि वट्टइ। अर्थात् बातचीत में वह बनी रहती है। २/४ तरट्टी: यह देशी शब्द प्रगल्भा के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने तरट्टी की संस्कृतच्छाया प्रगल्भा की है। कर्पूरमञ्जरी में राजा चन्द्रपाल ने इसे तरुणी नायिका के विशेषण के रूप में प्रयुक्त किया है।२/४ भक्करकालो : यह देशी शब्द परिहास काल के लिये प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने इसकी संस्कृतच्छाया बर्करकाल की है। कर्पूरमञ्जरी में विचक्षणा विदूषक से कहती है किअण्णो बक्करकालो, अण्णे कज्जविआरकालो। अर्थात् परिहास काल अन्य है और कार्य-विचार का समय अन्य होता है।१/६ णहल्लबहिणिआए : यहाँ 'महल्ल' शब्द देशी है और यह बड़े के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। कर्पूरमञ्जरी में यह विचक्षणा के द्वारा बड़ी बहिन के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। २/९ टिक्किदा : यह देशी शब्द तिलक लगाने के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। विद्वानों ने इसकी संस्कृतच्छाया टीकिता की है। बुन्देलखण्डी भाषा में टीका लगाना विपुल मात्रा में प्रचलित है। कर्पूरमञ्जरी में नायिका को सजाने के बाद विचक्षणा कहती है कि- देव! मंडिदा टिक्किदा भूसिता तोसिदा च। अर्थात् हे स्वामिन! मैंने नायिका को सजाया, तिलक लगाया, आभूषण पहनाया तथा सन्तुष्ट किया। २/११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy