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प्राकृत भाषा और राजशेखरकृत कर्पूरमञ्जरी में देशी शब्द : ५१ विभ्रमलेखा मलयानिल बहने की सूचना देते हुए कहती है कि- मलयानिल के बहने से कङ्कोली का वृक्ष समूह हिल रहा है । १/१६
निप्पट :
यह देशी शब्द अत्यधिक के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । जो व्यक्ति अत्यधिक अशिष्ट होता है उसे बुन्देलखण्डी भाषा में निपट गंवार कहते हैं । कर्पूरमञ्जरी में निप्पट शब्द का प्रयोग मलयानिल बहने के प्रसंग में किया गया है। देवी विभ्रमलेखा कहती है कि यह मलयानिल पान की लताओं को अधिक नचानेवाली है ।१/१६
परपुत्तविट्टालिणि :
देश विशेष में बोली जाने वाली यह एक प्रकार की गाली है, जो व्यभिचारिणी स्त्री के अर्थ में प्रयुक्त होती है । इसका सीधा अर्थ है- दूसरे के पुत्रों को विगाडने वाली। गाली के अर्थ में बिगडाल शब्द का प्रयोग जनभाषा में विशेषकर बुन्देलखण्डी भाषा में आज भी होता है । कर्पूरमञ्जरी में विदूषक क्रोध पूर्वक चेटी को 'परपुत्तविट्टालिणि' ऐसा सम्बोधन देता है ।१/१७
टेण्टाकराले :
यह देशी शब्द गाली के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । टेण्टा का अर्थ है-द्यूतस्थान और कराल का अर्थ है विकसित करना । कर्पूरमञ्जरी में विदूषक चेटी को सम्बोधित करते हुए टेण्टाकराले शब्द का प्रयोग करता है। यहां टेण्टाकराले का शब्द अर्थ है- जुआ खिलानीवाली ।१/१७, १/१९
ठेराए :
यह देशी शब्द टेढी आंख वाली स्त्री के लिये प्रयुक्त है । कर्पूरमञ्जरी में इसका प्रयोग विचक्षणा द्वारा विदूषक के काव्य की उपमा के लिये किया गया है। विचक्षणा विदूषक से कहना चाहती है कि तुम्हारी कविता तिरछी आंखवाली स्त्री के समान है अर्थात् दुष्ट है ।१/१९
साडोलिया :
यह देशी शब्द साडी के अर्थ में प्रयुक्त है। विचक्षणा हास-परिहास के क्रम में विदूषक से कहती है कि-तहिं गच्छ जहिं मे मादाए पढम साडोलिया गदा-अर्थात् तुम वहां जाओ, जहां मेरी माता की पहली साडी गयी है । १/१९
सोहंजणो:
यह देशी शब्द सहजन अर्थात् मुनगा के लिये प्रयुक्त हुआ है । कर्पूरमञ्जरी में विदूषक विचक्षणा के लिये कहता है कि- ता मह महबंभमणस्स भणिदेण तं
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