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अर्थ :- गमे ते विचारो करीने अकारण ज तुं केम हसे छे? अने वळी पोताना विकल्पोने वश थईने दुःखी केम थाय छे ?
हिन्दी अनुवाद :- कुछ भी सोचकर बिना किसी कारण तूं क्यों हंसता है ? पुनः स्वयं के विकल्पों के वश होकर दुःखी क्यों होता है ?
गाहा :
नाणा - रस- संकिन्नं नाडय कव्वंव अहिणवेमाणो ।
किं चिट्ठसि न य साहसि सब्भावं किंचि अम्हाणं ? ।। १५० ।।
छाया :
नाना-रस संकीर्णं नाटक काव्यमिव अभिनयन् ।
किं तिष्ठति न च कथयसि सद्भावं किंञ्चिदस्माकम् ||१५० ।। अर्थ :- विविध प्रकारना रसथी युक्त नाटक-काव्यनी जेम अभिनय करतो तुं केम उभो छे ? अने साचीवात अमने केम कहेतो नथी । हिन्दी अनुवाद :- विविध प्रकार के रस से युक्त नाट्य-काव्य की तरह अभिनय करता हुआ क्यों खड़ा है ? जो सच्ची बात है सो मुझे बतादे ।”
गाहा :
एवं च तेण बहुसो पुच्छिज्जंतेण कुमर! मे भणियं । जाणमि नेव किं पुण मह देहं गाढमस्सत्यं ? ।। १५१ ।।
छाया :
·
एवं च तेन बहुशः पुच्छ्यमानेन कुमार! मया भणितम् । जानामि नैव किं पुनः मम देहं
अर्थ :- आ प्रमाणे तेना वड़े घणीवार पूछाता मारा वड़े कहेवायु । हे कुमार! मारु शरीर केम अत्यंत अस्वस्थ छे ते हुं कांइ ज जाणतो नथी! हिन्दी अनुवाद :इस प्रकार उनके बार-बार आग्रह करने पर मैंने कहा - हे कुमार! मेरा शरीर एकदम अस्वस्थ्य क्यों है यह मै स्वयं भी कुछ नहीं जानता ।
गाहा :
छाया :
हसिऊण तेण भणियं पुव्वं चिय साहियं मए तुज्झ । एवंविह- महिलाणं
न
सुंदरं
गाढमस्वस्थम् । । १५१।।
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दंसणं होइ । । १५२ ।।
हसित्वा तेन भणितं पूर्वमेव कथितं मया तुभ्यम् । एवंविध- महिलानां न सुन्दरं दर्शनं भवति । । १५२ ।।
अर्थ :- तेणे हसीने कहयु, “पहेला ज मारा वड़े तने कहेवायु हतुं के आवा प्रकारनी स्त्रीओना दर्शन नथी होता ।
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