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________________ हिन्दी अनुवाद :- कामीलोग विलास करते थे, युवा और युवतियां झूले में झूलती थीं, वांजित्र की ध्वनि फैल रही थी और युवा श्रेष्ठ दारू पान कर रहे थे। गाहा : साहीण-पिययमाणं तरुणीणं वल्लहम्मि महु-मासे । धम्म-परायण लोएण, एत्थ कीरंति जत्ताओ ।। ५६।। छाया: स्वाधीन-प्रियतमानां तरुणीनां वल्लभे मधु-मासे । धर्म-परायण लोकेन अत्र क्रियन्ते यात्राः ||५६|| अर्थ :- प्रिय एवी वसंत ऋतु आवे छते जेने पोतानो प्रिय स्वाधीन छे एवी तरुणीओ अने धर्म-परायण लोकवड़े अहीं यात्रा कराय छे ।। हिन्दी अनुवाद : - प्रिय मधुमास आने पर अपना प्रिय जिनके स्वाधीन है ऐसी युवतियों और धर्मपरायण लोगों द्वारा यहाँ की यात्रा की जाती है। गाहा : जिण-बिंबाणं भत्तीए तेण एए समागया देवा। सव्वायरेण वेयल-सिद्धकूडेसु जत्तत्थं ।। ५७।। छाया : जिन-बिम्बानां भक्त्या तेन एते समागताः देवाः। सर्वादरेण वैताढ्य-सिद्धकूटेषु यात्रार्थम् ।।५७।। अर्थ :- तेथी प्रभु-प्रतिमाओनी भक्ति थी सर्वआदरवड़े वैताढ्यना सिद्धकूटोमां यात्रा माटे आ देवो आवेला छे । हिन्दी अनुवाद :- अत: प्रभु-प्रतिमा की भक्ति एवं सादरपूर्वक वैताढ्य के सिद्धकूटों में यात्रा के लिए ये देवगण यहां आये हैं। सिद्धकूट तरफ जवानी विचारणा गाहा : तत्तो य मए भणियं जइ एवं तो वयंस ! अम्हेवि । गंतूण सिद्धकूडे सासय-सव्वन्नु-पडिमाओ ।। ५८।। भत्तीए पणमिऊणं करेमु निय-माणुसत्तणं सहलं। पेच्छामो जिण-जत्तं सुय-खयरोहण किज्जंतं ।।५९।। छाया : ततश्च मया भणितं यदि एवं ततो वयस्य! आवामपि । गत्वा सिद्ध-कूटे शाश्वत-सर्वज्ञ-प्रतिमाः ।।५८।। 73 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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