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________________ अर्थ :- क्रमथी बार दिवस पूर्ण थये माता-पिता वड़े मोटा महोत्सव पूर्वक मारू नाम “चित्रवेग" ए प्रमाणे स्थापित करायु। हिन्दी अनुवाद :- बारह दिन व्यतीत होने पर माता-पिता द्वारा बड़े ठाठ से मेरा नाम "चित्रवेग' रखा गया । गाहा :- पाठशाला गमन वोलीणंसु य कइवय-वरिसेसु अहं महंत-बुद्धिस्स । अज्झावयस्स सुह-तिहि-रिक्खम्मि समप्पिओ पिउणा ।।२६।। छाया : व्यतितेषु च कतिपय वर्षेषु अहं महत्-बुद्धये । अध्यापकाय शुभ-तिथि-नक्षत्रे समर्पितः पित्रा ||२६|| अर्थ : केटलाक वर्षों व्यतीत धये शुभ तिथि नक्षत्रमा अत्यंत बुद्धिमान अध्यापकने माता-पिता वड़े हुं समर्पित करायो। हिन्दी अनुवाद :- कितने ही वर्ष व्यतीत होने पर शुभ तिथि और नक्षत्र में मुझे पढ़ाने के लिए अत्यंत बुद्धिशाली अध्यापक को माता पिता ने मुझे समर्पित किया।। गाहा :- सकल विद्या पारंगत - तत्तो अकाल-हीणं तहविह-अज्झावय-प्पभावेण । निय-मइ सामत्येण य गहियाओ कलाओ सयलाओ ।। २७।। छाया: ततः अकाल-हीनं तथाविध-अध्यापक-प्रभावेन | निज मति सामर्थ्येन च ग्रहिताः कलाः सकलाः ।।२७।। अर्थ :- त्यार पछी ते काळमां प्राप्त समस्त विद्याओ तेवा प्रकारना अध्यापकना प्रभावथी अने मारी बुद्धिना सामर्थ्यथी (सकल विद्याओं) में ग्रहण की। हिन्दी अनुवाद : - अध्यापक के प्रभाव से और अपनी बुद्धि सामर्थ्य से मैने विद्यमान समस्त विद्याएं ग्रहण कर ली। गाहा :- पिता वड़े विद्या प्रदान निय-कुल-कमागयाओ पिउणा विज्जाओ मज्झ दिनाओ। नहगामिणि-पमुहाओ जहविहिणा साहियव्वाओ ।। २८।। छाया: निज-कुल क्रमागताः पित्रा विद्याः मह्यं दत्ताः । नभगामिनि-प्रमुखा यथाविधिना साधयितव्याः ।।२८।। 63 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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