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________________ साहित्य सत्कार : १७७ पुस्तक बीसवीं शताब्दी की जैन विभूतियाँ, लेखक की एक अनुपम कृति है। प्रस्तुत पुस्तक में बीसवीं शताब्दी के जैन विचारकों को एक सूत्र में समेटने का प्रयास किया गया है। पुस्तक तीन खण्डों में विभाजित है जिसके प्रथम खण्ड में जैन आचार्य, महात्मा, मुनि, साध्वीगण आदि के बारे में विस्तार से वर्णन है। पुस्तक के द्वितीय खण्ड में जैन न्यायविद, वैज्ञानिक, पण्डित, लेखक, राजनेता, कलाकार, प्रशासक आदि के बारे में वर्णन किया गया है। तृतीय खण्ड में जैन उद्योगपति, श्रेष्ठि एवं धर्म प्रभावक व्यक्तियों के बारे में सविस्तार विवेचना है। अन्त में परिशिष्ट के अन्तर्गत ग्रन्थ के परम संरक्षक, संरक्षक, संयोजक, सह-संयोजक व्यक्तियों के बारे में बताया गया है। इस पुस्तक की महत्ता इसी से सिद्ध हो जाती है कि लेखक ने परम गाँधीवादी, महात्मा भगवानदीन एवं कथित् विवादास्पद आचार्य रजनीश को भी जैन नायकों में शामिल कर साहस का परिचय दिया है। यूँ तो जैनों में विद्वानों की कोई कमी नहीं है फिर भी लेखक ने इस छोटे से ग्रन्थ में प्रमुख व्यक्तियों को समेटेने का सफल प्रयास किया है। आशा है, वैसे सधी पाठक जो जैन धर्म में रुचि रखते हैं, इस पुस्तक को पढ़कर अवश्य लाभाविन्त होंगे एवं देश के विकास में जैन धर्मावलम्बियों के योगदान से परिचित होंगे। - ज्योतिमा (शोध छात्रा) ४. जीवन दर्पण (महापुरुषों की वाणी), संकलन- केवलचन्द जैन, प्रका० शा० लालचन्द, मदनराज एण्ड कं०, ७/२८ ए० पी०लेन, चिकपेट, बैंगलोर५३, आकार- डिमाई, पृष्ठ- २९२, मूल्य- ५०/ श्री केवलचन्द जैन द्वारा संकलित जीवन दर्पण (महापुरुषों की वाणी) गद्य एवं पद्य का अनूठा संग्रह है। हमारा जीवन तभी सार्थक है जब हम जीवन का उद्देश्य एवं लक्ष्य निर्धारित कर अपने को उस ओर अग्रसर रखें। इस जीवन दर्पण पुस्तक में लेखक ने जीवन जगत् के कटु सत्य को सरल भाषा में समझाने का सार्थक प्रयास किया है। कहते हैं दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता है। इस दर्पण रूपी पुस्तक में भी सच्चाई को सामने लाने का प्रयास लेखक ने किया है। सभी कहानियां शिक्षाप्रद हैं जो किसी एक सम्प्रदाय विशेष का प्रतिनिधित्व न करते हुए सबके लिए उपयोगी हैं। दृष्टान्तों के उचित समन्वय से कहानियाँ अत्यन्त ही रोचक बन पड़ी हैं। आशा है सभी पाठक इसे एक बार अवश्य पढ़ेंगे और अपने जीवन को सार्थक बनाएँगे। __- ज्योतिमा (शोध छात्रा) ५. महाप्रभा स्मृति-ग्रन्थ (सिखा गई... दिखा गई...) लेखिका- सम्पादिकासाध्वी डॉ० प्रियदर्शनाश्री एवं साध्वी डॉ० सुदर्शनाश्री, प्राप्ति स्थान- श्री राजेन्द्र सूरि जैन कीर्ति-मन्दिर तीर्थ ट्रस्ट, भरतपुर एवं श्री राजधन जयन्त सेन अराधना भवन, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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