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श्रमण, वर्ष ५६, अक १-६
जनवरी-जून २००५
साहित्य सत्कार
१. विक्रम चरित्र (पूर्वार्द्ध), सम्पा० श्री प्रशान्तरत्न विजय जी म० सा० प्रका० श्री सौधर्म संदेश प्रकाशन ट्रस्ट, नवसारी, आकार- डिमाई, पृष्ठ-२०३/
प्रस्तुत पुस्तक महाराजा विक्रमादित्य के जीवन पर आधारित है। प्रस्तुत पुस्तक में कुल ३२ प्रकरण हैं जिसमें विक्रमादित्य जो राजा गन्धर्व सेन के पुत्र थे, के जीवन में घटित घटनाओं का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन किया गया है। अवन्ती राज्य के परिचय के साथ-साथ अन्य राजाओं के सम्बन्ध में वर्णन बड़ा ही सुरुचिपूर्ण ढंग से हुआ है। इस ऐतिहासिक पुस्तक में घटनाओं को कथा के माध्यम से प्रस्तुत कर रोचक बनाया गया है। पाठक इसे पढ़ कर सहज ही लाभान्वित होंगे। उनका ऐतिहासिक ज्ञान तो बढ़ेगा ही साथ-ही-साथ धार्मिक ज्ञान में भी वृद्धि होगी। आशा है पाठक इस छोटी सी पुस्तक को अवश्य पढ़ेंगे।
- ज्योतिमा (शोध छात्रा) २.विक्रम चरित्र (उत्तरार्द्ध), सम्पा० श्री प्रशान्तरत्न विजय जी म०सा०, प्रका० श्री सौधर्म संदेश प्रकाशन ट्रस्ट, नवसारी, आकार- डिमाई, पृष्ठ-२१७/
प्रस्तुत पुस्तक उपर्युक्त पुस्तक का द्वितीय भाग है। इसमें तैंतीसवें प्रकरण से छियासठवें प्रकरण तक महाराजा विक्रमादित्य के जीवन-चरित्र का वर्णन है। इसमें सर्ग ८ से सर्ग १२ तक कुल तैंतीस प्रकरणों में विक्रमादित्य के जीवन में घटित घटनाओं को समेटने का प्रयास किया गया है। तीर्थ महिमा और शकराज चरित्र, कौमुदी महोत्सव में राजा का गमन, श्रीदत्त केवली का पूर्व-चरित्र, गांगलि ऋषि का राजसभा में आगमन, श्रीदत्त केवली द्वारा सूर के पूर्व जन्म का कथन आदि कथानकों का उचित दृष्टांत द्वारा रोचक वर्णन हुआ है। आशा है पाठकगण इस पुस्तक को पढ़कर लाभान्वित होंगे।
___ - ज्योतिमा (शोध-छात्रा) ३. बीसवीं शताब्दी की जैन विभूतियाँ, लेखक- श्री मांगीलाल भूतोड़िया, प्रका० प्राकृत भारती अकादमी, १३ ए०, मेन मालवीय नगर, जयपुर एवं प्रियदर्शी प्रकाशन ७, ओल्ड पोस्ट ऑफिस स्ट्रीट, कोलकाता, आकार-डिमाई, पृष्ठ- ४३९, मूल्य- ५००/
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