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________________ जैन-जगत् : १७३ पार्श्वनाथ विद्यापीठ निबन्ध प्रतियोगिता - २००४-०५ उद्देश्यः नवयुवकों के बौद्धिक विकास एवं जैन धर्म दर्शन के प्रति उनकी जागरुकता को बनाये रखने के लिए प्रतिवर्ष एक निबन्ध प्रतियोगिता के आयोजन का पार्श्वनाथ विद्यापीठ का संकल्प है । जैन समाज लम्बे समय से यह अनुभव कर रहा है कि लोगों को जैन धर्म दर्शन एवं संस्कृति की यथार्थ जानकारी होनी चाहिये, क्योंकि जैन दर्शन में विश्व दर्शन बनने की क्षमता है । इस उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए पार्श्वनाथ विद्यापीठ एक निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है, जिससे कि लोगों में पठन -पाठन एवं शोध के प्रति रुचि पैदा हो साथ ही विचारों का आदानप्रदान हो सके। सन् २०००, २००१ में विद्यापीठ ने क्रमश: 'जैन धर्म और पर्यावरण' तथा 'बीसवीं सदी में जैन धर्म की प्रासंगिकता' इन दो विषयों पर निबन्धप्रतियोगिता का आयोजन किया था । विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान करने के अतिरिक्त चयनित निबन्धों को हमारी शोध-पत्रिका 'श्रमण' में प्रकाशित भी किया गया था। इसी कड़ी में सत्र २००४-२००५ में पुनः एक निबन्ध-प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। विषय : “विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की प्रासंगिकता" कौन प्रतियोगी हो सकते हैं - कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म,जाति,सम्प्रदाय का हो या किसी भी उम्र का हो इस प्रतियोगिता में भाग ले सकता है । पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं उसकी सहयोगी संस्थाओं के कर्मचारियों एवं उनके निकट सम्बन्धियों के लिये यह प्रतियोगिता प्रतिबन्धित है । निबन्ध के साथ प्रतिभागी की पासपोर्ट साइज फोटो, पूरे पते सहित अपनी शैक्षिक योग्यता का विवरण एवं हाई स्कूल सर्टिफिकेट की फोटो प्रति (xerox copy) भेजना अनिवार्य है। आयुवर्ग के आधार पर निबन्ध के लिए निर्धारित पृष्ठ संख्याः १. १८ वर्ष तक- डबल स्पेस में फुलस्केप साइज में टंकित (typed) पूरे चार पृष्ठ। २. १८ वर्ष के ऊपर-डबल स्पेस में फुलस्केप साइज में टंकित (typed) पूरे आठ पृष्ठ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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