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________________ १७२ : श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६/जनवरी-जून २००५ असीम श्रद्धा को जाता है। समाजसेवी संस्था महावीर इण्टरनेशनल के आप आजीवन सदस्य व फैलो मेम्बर थे। आप पार्श्वनाथ विद्यापीठ से वर्षों से जुड़े रहे । विद्यापीठ की प्रबन्ध-समिति के सम्मानित सदस्य के रूप में आपकी सेवायें हमारी धरोहर हैं । विद्यापीठ के समस्त क्रियाकलापों में आपकी सक्रिय सहभागिता रहती थी। आप लगभग तीन बार संस्थान पधार चुके थे । विद्यापीठ में चल रही कई परियोजनाओं हेतु आपने अनुदान एकत्र करवाने में हमारी प्रबन्ध-समिति की विशेष सहायता की थी । आज उनके आकस्मिक निधन से सम्पूर्ण विद्यापीठ परिवार शोकाकुल और स्तब्ध है। विद्यापीठ के हम सभी सदस्यगण निर्वेद, सन्तोष भाव से, दिवंगत पुण्यात्मा के श्रीचरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हए शोक संतप्त परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करते हैं तथा आपके परिवारजनों को यह वियोग सहने की क्षमता प्रदान करने हेतु वीर प्रभु से मंगल कामना करते हैं। ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।। प्रमुख समाज सेवी धर्मनिष्ठ श्री सीतलदासजी राक्यान का दुःखद स्वर्गवास दिल्ली के प्रमुख समाज सेवी, संत सेवी, मानवता प्रेमी, साउथ एक्सटेंशन स्थित छोटी दादाबाड़ी के पूर्ण विकास के प्रति समर्पित एवं अनेक संस्थाओं से गहराई से जुड़े हुए धर्मनिष्ठ श्री सीतलदासजी राक्यान का २७ जून २००५ को दिल्ली में आकस्मिक दुःखत निधन हो गया। श्री सीतलदासजी राक्यान का जन्म २१-१२-१९१४ को जयपुर में हुआ था। उनके पांच पुत्र एवं तीन पुत्रियां हैं जो आज अपने पिता एवं परिवार की परम्परा के अनुसार व्यवसाय से लेकर समाज तक एक आदर्श स्थापित किये हुए हैं। वे दादावाड़ी में दर्शन-पूजा किये बगैर अन्न-जल ग्रहण नहीं करते थे। दादावाड़ी के जीर्णोद्धार से आपने अपने को जोड़ लिया था। दिल्ली के बाहर से आने वाले विशेषकर चिकित्सा के लिए आने वाले लोगों के लिये आपने दादावाड़ी में ४६ कमरों का सर्व सविधायुक्त यात्री निवास एवं भोजशाला का निर्माण करवाया एवं एक धर्मार्थ चिकित्सालय की व्यवस्था करवायी। जिससे पूरे देश भर में दिल्ली छोटी दादाबाड़ी का नाम रोशन हुआ। ऐसे कर्मठ समाज सेवी, सरलमना श्री सीतलदासजी राक्यान साहब के निधन को समाज की अपूरणीय क्षति मानते हुए हम अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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