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जैन-जगत् : १७१
शोक-संदेश परम धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री तोलाराम जी जैन को विनम्र भावाञ्जलि
श्री आत्मानन्द जैन सभा - फरीदाबाद की कार्यकारिणी व श्री महावीर स्वामी जैन श्वेताम्बर मन्दिर ट्रस्ट - फरीदाबाद के वरिष्ठ सदस्य परम श्रद्धेय व परम धर्मनिष्ठ सुश्रावक श्री तोलाराम जी जैन, जो प्राय: श्री टी०आर० जैन के नाम से
प्रसिद्ध थे, का मात्र ७२ वर्ष की आयुष्य में अल्पकालीन रुग्णावस्था के उपरान्त मंगलवार, दिनांक १७ मई २००५ को अर्धरात्रि लगभग ०.३० बजे आकस्मिक हृदयगति रुक जाने से देहावसान हो गया।
आपका जन्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ नगर के लब्धप्रतिष्ठित श्री मोतीलाल कन्हैयालाल जी जैन बुरड़ परिवार के अनन्य धार्मिक एवं संस्कार-सम्पन्न सुश्रावक लाला कन्हैयालाल जी की अत्यन्त धर्मपरायण अर्धांगिनी सुश्राविका श्री मोना देवी जी की पावन कुक्षि से दिनांक १ मई १९३३ के दिन हुआ। बाल्यावस्था से ही आप अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के विद्यार्थी थे तथा युवावस्था में पहुंचने तक आपने अर्थशास्त्र व अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण कर ली। शिक्षा-दीक्षा के उपरान्त आप भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में अर्थशास्त्री के रूप में कार्यरत रहे तथा इसी अवधि में राजस्थान के झुंझनू नगर के परमधर्मनिष्ठ सुश्रावक दम्पत्ति श्री मोतीलाल-मैनादेवी जी की संस्कार सम्पन्न सुपुत्री विमला जी से आपका १ फरवरी १९५९ के दिन पाणिग्रहण हुआ। सन् १९६१ में विदेश मंत्रालय छोड़कर आप हरियाणा के अग्रणी व श्री आत्मवल्लभ समुदाय के अत्यन्त गौरवशाली शिक्षण-संस्थान एस०ए० जैन कालेज, अम्बाला (श्री आत्मानन्द जैन महाविद्यालय) में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक के रूप में नियुक्त हुए जहाँ सन् १९८० में आप कालेज के प्राधानाचार्य (प्रिंसिपल) के रूप में पदोनत हुए। सन् १९९० में कालेज से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर आप अपने पारिवारिक पुस्तक प्रकाशन के व्यवसाय में सम्मलित हो गये।
फरीदाबाद आगमन के उपरान्त श्री आत्मानन्द जैन सभा एवं श्री महावीरस्वामी जैन श्वेताम्बर मन्दिर ट्रस्ट, फरीदाबाद के आप संस्थापक सदस्य थे तथा लगभग एक दशक तक आप सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व तदोपरान्त कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य के रूप में सुशोभित रहे। इसी प्रकार मन्दिर ट्रस्ट के गठन के समय से ही आप इसके न्यासी रहे व सदैव श्री जिनमन्दिर निर्माण में विशिष्ट सहयोग प्रदान करते रहे। वास्तव में फरीदाबाद के जिन मन्दिर में चारों दादा गुरुदेवों की चरणपादुकाएं स्थापित करवाने का श्रेय माननीय श्री टी०आर० जैन की दादा गुरुदेवों के प्रति
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