________________
१७० : श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६/जनवरी-जून २००५ वाराणसी को उनकी कृति हिन्दी गद्य के विकास में जैन मनीषी पं० सदासुखदास का योगदान पर दिनांक २५ अप्रैल २००५ को श्री महावीरजी में महावीर जयन्ती के वार्षिक मेले के अवसर पर प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि डा० (श्रीमती) मुन्नी पुष्पा जैन कृत उक्त पुस्तक पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी से प्रकाशित है।
नियमावली तथा आवेदन-पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिए संस्थान कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-४ से पत्र व्यवहार करें।
स्वयंभू पुरस्कार - २००५ .. दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर के वर्ष-२००५ के स्वयंभू पुरस्कार के लिए अपभ्रंश से सम्बन्धित विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी में रचित रचनाओं की चार प्रतियाँ ३० सितम्बर, २००५ तक आमन्त्रित हैं। इस पुरस्कार में २१००१/- एवं प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जायेगा। ३१ दिसम्बर, २००१ से पूर्व प्रकाशित तथा पहले से पुरस्कृत कृतियाँ सम्मिलित नहीं की जायेंगी।
नियमावली तथा आवेदन पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिए अकादमी कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-४ से पत्र व्यवहार करें।
संस्कृत, प्राकृत के विद्वान पंडितों की आवश्यकता जिनशासन के प्रचार-प्रसार एवं सम्यग्ज्ञान दर्शन चारित्र में रत साधु-साध्वियों के शिक्षण-प्रशिक्षण एवं आगम शोधन हेतु संस्कृत, प्राकृत एवं जैन दर्शन के सुयोग्य पंडितों की आवश्यकता है। जो भी विद्वत्जन सेवा के पुनीत कार्य में सेवा देना चाहते हैं वे कृपया अपनी योग्यता के साथ सम्पर्क करें।
साक्षात्कार के लिए आवेदनकर्ता को आने जाने का द्वितीय श्रेणी का मार्गव्यय दिया जायेगा। चयन होने पर उचित मानदेय दिया जायेगा। सम्पर्क करें - ShriSohanlalji Sipani
No. 831, 13th Main Road, 3rd Block Koramangala, Bangalore - 560 034 Phone:080-25537878,9880004449,9845007878
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org