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________________ जैन-जगत् : १६९ उनकी मौलिक कृति है। ९. पुस्तक पर लेखक का सर्वाधिकार होगा। १०. पुस्तक का चयन फाउण्डेशन द्वारा स्थापित एक समिति द्वारा किया जायेगा। पुरस्कार हेतु पुस्तक की गुणवत्ता के बारे में चयन समिति का निर्णय अंतिम होगा तथा लेखक को भी मान्य होगा। ११. लेखक अपनी प्रकाशित अथवा अप्रकाशित पुस्तक की ४ प्रतियाँ फाउण्डेशन को दिनांक ३०-०९-२००५ तक प्रेषित करें। फाउण्डेशन ३१-१२-२००५ तक पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित करेगी। १२. पुरस्कार तथा किसी भी विवाद के बारे में न्यायालय का क्षेत्र चेनई ही होगा। दुलीचन्द जैन, ११, पोन्नप्पा लेन, त्रिपलीकेन, चेनई- ६००००५ डा० नन्दलाल जैनः चीन में आयोजित बाइसवीं अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान-इतिहास कांग्रेस में जैन दर्शन एवं विज्ञान के बहुश्रुत विद्वान डा० नन्दलाल जैन ने बीजिंग (चीन) में सम्पन्न बाइसवीं अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान-इतिहास कांग्रेस के अधिवेशन में 'मानव एवं प्रकृति खण्ड' की अध्यक्षता की । इस खण्ड में पांच देशों के सात वैज्ञानिकों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये । डा० जैन ने 'जैन विद्याओं में वनस्पति विज्ञान' विषय पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इस कांग्रेस में ६९ देशों के कुल ११०० विद्वानों ने भाग लिया । उल्लेखनीय है कि इनमें डा० जैन एकमात्र जैन थे । विद्यापीठ परिवार से अभिन्न रूप से जुडे डा० जैन को इस सम्मान के लिये बहुत-बहुत बधाई। महावीर पुरस्कार वर्ष २००५ एवं ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया पुरस्कार २००५ प्रबन्धकारिणी कमेटी, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान, श्री महावीरजी के वर्ष-२००५ के महावीर पुरस्कार के लिए जैनधर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य, संस्कृति आदि से सम्बन्धित किसी भी विषय की पुस्तक/शोध-प्रबन्ध की चार प्रतियाँ दिनांक ३०सितम्बर २००५ तक आमन्त्रित हैं। इस पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त कृति को २१००१/- एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कृति को ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार ५००१/- एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। ३१ दिसम्बर २००१ के पश्चात् प्रकाशित पुस्तक ही इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं। यह सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि वर्ष २००४ का महावीर पुरस्कार प्रो० लक्ष्मीचन्द जैन को उनकी कृति Exact Sciences in the Karma Antiquity तथा ब्र० पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार डॉ०(श्रीमती) मुन्नी जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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