SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 175
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८ : श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६/जनवरी-जून २००५ . थे। राज्यपाल ने यह पुरस्कार श्री सिद्धराज ढड्डा, जयपुर को अहिंसा एवं शाकाहार के क्षेत्र में की गई उत्कृष्ट सेवाओं के लिए प्रदान किया। इसी प्रकार उत्तराखण्ड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षण संस्थान, अलमोड़ा (उत्तरांचल) को शिक्षा एवं चिकित्सा के क्षेत्र में की गई उत्कृष्ट सेवाओं के लिए, स्वामी विवेकानन्द यूथ मूवमेन्ट, मैसूर को सामाजिक एवं सामुदायिक क्षेत्र में की गई उत्कृष्ट सेवाओं के लिए यह पुरस्कार प्रदान किया गया। तीनों पुरस्कारों में प्रत्येक को पाँच लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किये गये। फाउण्डेशन के प्रबन्धकीय प्रन्यासी एन० सुगालचन्द जैन ने आगन्तुकों का स्वागत किया। प्रो० लोढा ने जोधपुर विश्वविद्यालय को स्वर्णपदक हेतु एक लाख की राशि प्रदान की श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, कोलकाता के अध्यक्ष, विश्रुत साहित्यकार, कोलकाता विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर कल्याणमल लोढा ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में १६ मार्च २००५ को आयोजित एक समारोह में विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती नसीम भाटिया को अपने पिता श्री चन्दनमल लोढा की स्मृति में स्वर्णपदक प्रारम्भ करने हेतु एक लाख रुपये का ड्राफ्ट प्रदान किया। इस राशि के ब्याज से कला संकाय की स्नातकोत्तर कक्षाओं में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी को 'चन्दनमल लोढा स्मृति पदक' विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार सूचना भगवान महावीर फाउण्डेशन ने 'शाकाहार' विषय की सर्वोत्तम पुस्तक पर ५१०००/- रुपए के दो पुरस्कार हिन्दी एवं अंग्रजी भाषाओं में देने का निर्णय लिया है। नियमावली :- १. यह पुरस्कार प्रकाशित अथवा अप्रकाशित पुस्तक पर प्रदान किया जायेगा किन्तु १० वर्ष पूर्व (अर्थात् ३१.१२.१९९४ से पूर्व) प्रकाशित पुस्तक पर नहीं दिया जायेगा। २. पुस्तक 'शाकाहार' विषय पर होनी चाहिए। अन्य विषय की पुस्तक पुरस्कृत नहीं की जायेगी। ३. पुस्तक में 'शाकाहार' विषय पर वैज्ञानिक तथ्यात्मक जानकारी हो तथा आधुनिक युग में 'शाकाहार' की महत्ता का प्रतिपादन हो। ४. पुस्तक की भाषा सहज, सरल एवं शैली सबोधगम्य हो ताकि सामान्य व्यक्ति भी उसका आशय भलीभांति समझ सके। ५. पुस्तक के विषय को अधिक सुगम बनाने के लिए चित्र एवं रेखाचित्र दिये जा सकते हैं। ६. पुस्तक का शीर्षक अत्यन्त आकर्षक हो। ७. पुस्तक की पृष्ठ संख्या १०० से १५० तक हो। ८. पुस्तक लेखक की मौलिक कृति हो। लेखक पुस्तक के साथ अपना प्रमाण-पत्र दें कि यह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy