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________________ जैन-जगत् : १६७ किया गया। आचार्य योगेन्द्र सागर जी ने कहा कि तपस्वी बने बिना यशस्वी बनना सम्भव नहीं है । श्रद्धा जब गहराती है तो वह समर्पण बन जाती है । आपने जैन आगमों में यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र और ज्योतिष के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि जैन साधुओं द्वारा इनका उपयोग करने में कहीं कुछ भी गलत नहीं है बशर्ते इनका उपयोग आजीविका के लिये न कर सत्य को उद्घाटित करने एवं मानव-कल्याणार्थ किया जाय। ध्यातव्य है कि आचार्यश्री ने इस विद्या से अनेक असाध्य रोगों का उपचार कर अनेक लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराया है। अनेकों आदिवासियों को शाकाहार की जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी है। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए श्री सत्येन्द्र मोहन जैन ने ज्वालामालिनीकल्प, सरस्वतीकल्प, नागकुमार काव्य आदि जैन ग्रन्थों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र एवं ज्योतिष का उपयोग जिनधर्म की प्रभावना एवं मानव कल्याणार्थ किया जाना चाहिये । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डा० विश्वनाथ पाण्डेय, जनसम्पर्क अधिकारी, का० हि० वि० वि० ने जैन धर्म के कतिपय सिद्धान्तों की महत्ता को रेखांकित करते हुए अहिंसा को जीवन में उतारने तथा शाकाहार जीवन-शैली को अपनाने की बात पर जोर दिया। संगोष्ठी की निदेशक एवं National Non-violence Unity Trust Foundation, Ujjain की अध्यक्षा डा० सविता जैन ने ॐकारध्वनि तथा ॐ शब्द की उपयोगिता एवं नवकार मन्त्र की प्राचीनता तथा महत्त्व पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी के संयोजक डा. संजीव सर्राफ ने विशिष्ट अतिथिगण- प्रो० सुदर्शन लाल जैन, डा० कमलेश जैन, डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय, डा० मुकुलराज मेहता के साथ-साथ बाहर से पधारे विद्वानों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस संगोष्ठी में जिन विद्वानों ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया उनमें मुख्य हैं- डा० अभय प्रकाश जैन (ग्वालियर), पं० वीरेन्द्र शास्त्री (आगरा), पं० विमलमप्रकाश शास्त्री (सागवाडा) , डा० सुदर्शनलाल जैन, डा० कमलेश जैन, विनय भूषण जैन (वाराणसी), डा० मुकेश जैन (जबलपुर), डा० रीता पाण्डेय (जबलपुर) एवं डा० कृष्णा जैन (ग्वालियर)। वाराणसी दिगम्बर जैनसंघ के अध्यक्ष-श्री ऋषभदास जैन, श्री चन्द्रभान जैन (उपाध्यक्ष), श्री प्रदीप जैन (महामन्त्री) एवं श्री विनोद जैन (मन्त्री) ने संगोष्ठी को सम्पन्न कराने में अपना पूर्ण सहयोग दिया। संगोष्ठी का कुशल संचालन डा० संजीव सर्राफ एवं श्री विवेकानन्द जैन ने किया जिनके सद्प्रयासों के बिना संगोष्ठी का आयोजन सम्भव नहीं था। नौंवा महावीर पुरस्कार वितरण समारोह सम्पन्न भगवान महावीर फाउण्डेशन के सौजन्य से १४ फरवरी २००५ को नौंवा महावीर पुरस्कार वितरण समारोह चेन्नई के कलैवानर आरंगम में आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि तमिलनाडु के राज्यपाल श्री सुरजीत सिंह बरनाला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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