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श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६/जनवरी-जून २००५
संस्थान लखनऊ की निदेशक श्रीमती ममता मिश्रा तथा वरिष्ठ पुरावशेष संरक्षक श्री अशोक कुमार उपाध्याय ने प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण दिया। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारी महाराजकुमारी कृष्णप्रिया ने सहभागियों की बड़ी संख्या को देखते हुए कहा कि संरक्षण के कार्य की महत्ता को समझते हुए लोगों ने इसमें भाग लिया, जो सराहनीय है।
इस अवसर पर डॉ० ओमप्रकाश सिंह, डॉ० विवेकानन्द जैन, डॉ० शिवप्रसाद आदि प्रशिक्षार्थियों ने कार्यशाला के अपने अनुभवों को बतलाया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० महेश्वरी प्रसाद ने शीघ्र ही इसी प्रकार की एक और कार्यशाला के आयोजन की सूचना दी। इस अवसर पर सभी ५८ सहभागियों को मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया और इन्टैक, भारतीय संरक्षण संस्थान, लखनऊ की ओर से वरिष्ठ पुरावशेष संरक्षक श्री अशोक उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में मानव मिलन के प्रेरक प०पू० मणिभद्र
मुनिजी 'सरल' का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न ___ भीष्म पितामह मुनि श्री सुमतिप्रकाश जी म० सा०, युवाचार्य श्री विशालमुनि जी म०सा० व श्री आशीष मुनि जी के शिष्य मुनि श्री मणिभद्र जी म.सा. ठाणा ३ के साथ पूज्य श्री अचल मुनि जी म.सा. के सानिध्य में पार्श्वनाथ विद्यापीठ में विराज रहे हैं। पूजनीय सभी सन्तों का २००५ का वर्षावास श्री बनारस स्थानकवासी जैन संघ, बुलानाला, वाराणसी में है।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ प्रवास के दौरान आज दिनांक ८-४-२००५ को पार्श्वनाथ विद्यापीठ में अखिल भारतीय मानव मिलन के प्रेरक मुनि श्री मणिभद्र जी 'सरल' की ३९वीं जन्म जयन्ती बड़े ही धूम-धाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनायी गयी। समारोह की अध्यक्षता कानपुर के भाजपा विधायक श्री सलिल विश्नोई ने की तथा मुख्य अतिथि थे श्री लालजी राय, नगर आयुक्त, वाराणसी। कार्यक्रम का प्रारम्भ प०पू० श्री अचल मुनि जी के मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम के प्रारम्भ में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के सहायक निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने पूज्य मुनि श्री का जीवन परिचय देते हुए मुनि श्री के दीर्घायु होने की कामना की। डॉ. विजय कुमार ने जीवन दर्शन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए मुनि श्री के जन्म दिन के अवसर पर महापुरुषों के आदर्शों को अपने जीवन में उतारने पर बल दिया। उत्तर प्रदेश तेरापंथ जैन संघ के अध्यक्ष श्री माणकचन्द भंसाली ने कहा कि सन्तों का जीवन हमें अध्यात्म की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है। मुनि श्री मणिभद्र जी 'सरल' का
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