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________________ श्रमण, वर्ष ५६, अंक १-६ जनवरी - जून २००५ विद्यापीठ के प्रांगण में ग्रन्थों का रख-रखाव व प्रारम्भिक उपचार पर कार्यशाला १९-२१ फरवरी २००५ Jain Education International पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, नई दिल्ली एवं इन्टैक, भारतीय संरक्षण संस्थान, लखनऊ द्वारा संयुक्त रूप से पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में १९ - २१ फरवरी २००५ तक ग्रन्थों के रख-रखाव व प्रारम्भिक उपचार विषयक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त सचिव श्री एम० के० जैन ने कहा कि प्राचीन काल में श्रुत को लिपिकरण के द्वारा ही सुरक्षित रखा जाता था। आज वैज्ञानिक शोधों के चलते यह सरल हो गया है। इण्टैक इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। इस अवसर पर श्री जैन ने संस्थान द्वारा प्रकाशित एवं डा० के० वी० मरडिया (यू० के ० ) द्वारा लिखित पुस्तक 'जैन धर्म की वैज्ञानिक आधारशिला' का विमोचन किया तथा संस्थान के प्रकाशनों की गुणवत्ता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस कार्यशाला के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो० सिद्धनाथ उपाध्याय, निदेशक, प्रौद्योगिक संस्थान (आई० आई०टी०) का० हि०वि०वि० ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से पुरावशेषों एवं पाण्डुलिपियों के संरक्षण के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी, जो अत्यन्त उपयोगी है। आज की परिस्थिति में पुरावशेषों तथा हस्तलिखित ग्रन्थों को सुरक्षित रखने की महती आवश्यकता है। राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, नई दिल्ली तथा इन्टैक, भारतीय संरक्षण संस्थान, लखनऊ इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। यह कार्यशाला उसी महत्त्वपूर्ण कार्य की एक कड़ी है। उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे इस महत्त्वपूर्ण कार्य को आगे बढ़ायें। इस कार्यशाला में गुवाहाटी, ग्वालियर, सागर, फैजाबाद एवं जौनपुर सहित वाराणसी के विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के लगभग ६० प्रतिभागियों ने भाग लिया। तीन दिन चली इस कार्यशाला में विभिन्न सत्रों के अन्तर्गत पाण्डुलिपियों के क्षरण के कारण एवं पहचान, कागज एवं ताड़पत्र बनाने की विधि, संरक्षण का महत्त्व एवं पुनरुद्धार, फंफूंदी और कीड़ों की रोकथाम, प्रकाश, नमीं और तापमान को मापने की विधि, संरक्षण के क्षेत्र में अभिलेखीकरण का महत्त्व, संकटकालीन आपदाओं-यथा आग एवं पानी पर नियंत्रण, भण्डारण का महत्त्व एवं पाण्डुलिपि रखने की विधि आदि विषयों पर इन्टैक, भारतीय संरक्षण For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525055
Book TitleSramana 2005 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2005
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size12 MB
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