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विद्यापीठ के प्रांगण में : १५३
जीवन भी हमें कुछ इसी प्रकार की प्रेरणा देता है। हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो० राजमणि शर्मा जी ने श्रमण जीवन के कठिन मार्ग को विश्लेषित करते हुए साधु-सन्तों की जीवनचर्या पर प्रकाश डाला और मुनिश्री के सरलमना स्वभाव तथा उनके व्यक्तित्व की सराहना की। मानव मिलन की वाराणसीमुगलसराय शाखा के महामंत्री श्री किरीट कुमार शाह ने मुनि श्री के जीवन की मंगलकामना करते हुए वाराणसी-मुगलसराय शाखा द्वारा विगत वर्षों में किए गए कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध संगीतकार पार्श्वगायक श्री रवीन्द्र जैन की शिष्या सुश्री स्तुति अतुल जैन ने अपने सुन्दर भजनों द्वारा सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया। प० पू० श्री पुनीत मुनिजी ने अपने स्वरचित कविता के माध्यम से मुनिश्री का स्वागत किया एवं उनके दीर्घजीवन की कामना की। पू० गुरुदेव के जन्मोत्सव समारोह में दिल्ली, कानपुर, झारखण्ड आदि सुदूरवर्ती स्थानों से भी अनेक श्रद्धालु पधारे थे।
प०पू० मणिभद्र मुनिजी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आज मनुष्य की पहली आवश्यकता है कि वह एक अच्छा मानव बने तभी वह देवत्व को प्राप्त हो सकता है। प०पू० श्री अचल मुनि ने कहा कि किसी के जन्मदिन और मृत्यु दिन का कोई महत्त्व नहीं है, महत्त्व है तो उसके जीवन में उसके द्वारा किये सद्कर्मों का।
. इस अवसर पर श्री लालजी राय के सान्निध्य में मानव मिलन की वाराणसीमुगलसराय शाखा द्वारा एक लावारिस शव वाहन (ट्राइसायकिल) मोक्ष काशी नामक संस्था को भेंट किया गया। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सहायक निदेशक एवं समारोह के संयोजक डा० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने किया। "
बालाचार्य प०पू० योगेन्द्र सागर जी म० पार्श्वनाथ विद्यापीठ में
१४ जून, २००५ को श्रमणरत्न, व्याख्यानवाचस्पति, खण्डविद्या धुरन्धर श्री १०८ प० पू० बालाचार्य योगेन्द्रसागर जी म० पार्श्वनाथ विद्यापीठ में पधारे। आपश्री अपनी सम्मेद शिखर जी की यात्रा के दौरान पार्श्वप्रभु की जन्मभूमि, भेलूपर, वाराणसी में ससंघ दो दिन पूर्व ही पधारे थे। आपश्री की प्रेरणा से दिनांक १२-१३ जून, २००५ को “जैन शासन में यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, ज्योतिष एवं साधुओं की भूमिका" विषय पर National Non-violence Unity Trust Foundation, Ujjain के तत्त्वावधान में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्यापीठ के सहायक निदेशक डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय के निवेदन पर पधारे आचार्य श्री संस्थान के समृद्ध पुस्तकालय, संग्रहालय, पांडुलिपि-संग्रह एवं संस्था
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