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________________ b खरतरगच्छ- भावहर्षीय शाखा का इतिहास शिव प्रसाद * निर्गन्थ परम्परा के अल्पचेल (श्वेताम्बर) आम्नाय में चन्द्रकुल से उद्भूत खरतरगच्छ में समय-समय पर अस्तित्त्व में आयी विभिन्न शाखाओं में भावहर्षीय शाखा भी एक है। यह शाखा विक्रम संवत् की १७वीं शताब्दी के प्रथम चरण में अस्तित्त्व में आयी । प्राप्त विवरणानुसार खरतरगच्छ की सागरचन्द्रसूरिशाखा के मुनि साधुतिलक के प्रशिष्य और कुलतिलक के प्रशिष्य उपाध्याय भावहर्ष द्वारा वि० सं० १६१६ में खरतरगच्छ में सातवां शाखा भेद हुआ जो इसके प्रवर्तक भावहर्ष के नाम पर भावहर्षीय शाखा के नाम से जाना गया। इस शाखा के चौदहवें और अंतिम पट्टधर जिनलब्धिसूरिका विक्रम सम्वत् की २०वीं शती के अंतिम चरण में देहान्त हुआ। इस प्रकार लगभग ३५० वर्षों तक इस शाखा का अस्तित्त्व रहा। इस शाखा से सम्बद्ध यद्यपि तीन अभिलेखीय साक्ष्य मिलते हैं किन्तु ये एक ही तिथि / मिति - वि० सं० १९१० माघ सुदि ५ गुरुवार के हैं। साम्प्रत निबन्ध उक्त सीमित साक्ष्यों के आधार पर इस शाखा के इतिहास पर प्रकाश डालने का एक प्रयास है। शाखाप्रवर्तक भावहर्षसूरि द्वारा रचित साधुवंदना नामक एक छोटी कृति प्राप्त होती है । ' वि०सं० १६२६ में रचित इस कृति में उन्होंने यद्यपि अपने गुरु आदि का उल्लेख नहीं किया है, फिर भी भावहर्षीय शाखा से सम्बद्ध सर्वप्राचीन साक्ष्य होने से यह महत्त्वपूर्ण है । भावहर्ष द्वारा रचित विभिन्न स्तवनादि की सूचना नाहटाद्वय द्वारा प्राप्त होती है। अज्ञातकृतक भावहर्षसूरिचरितम् नामक एक लघुकृति से ज्ञात होता है कि इनके गुरु का नाम कुलतिलक और प्रगुरु का नाम साधुतिलक था जो खरतरगच्छ की सागरचन्द्रसूरि शाखा से सम्बद्ध थे।' भावहर्षसूरि के एक शिष्य रंगसार द्वारा रचित चार कृतियां मिलती हैं १. शांतिनाथरास (वि०सं० १६२० ), २. जिनपालजिनरक्षितचौढालिया (वि० सं० १६२१), ३. ऋषिदत्तासतीचौपाई (वि०सं० १९२६), ४. गिरनार - चैत्यपरिपाटी ऋषिदत्तासतीचौपाई तथा अपनी अन्य कृतियों की प्रशस्तियों में रचनाकार ने अपनी लम्बी गुर्वावली न देते हुए मात्र अपने गुरु भावहर्षसूरि का ही सादर उल्लेख किया है। प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी. * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525051
Book TitleSramana 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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