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________________ जैनों और सिखों के ऐतिहासिक संबंध महेन्द्र कुमार मस्त* इतिहास के पृष्ठों में अनेकों अन-उद्घाटित घटनाएँ और बंद पड़े हुए विवरण यदा-कदा मिलते रहते हैं। उन को उद्देश्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाना इतिहास के हर विद्यार्थी और भावी पीढ़ियों के लिए एक चुनौतिपूर्ण जरूरत है। प्राय: सभी जानते हैं कि २५०० वर्ष, तत्कालीन प्रचलित मान्यताओं की मुख्य परिधि को तोड़ कर, बौद्ध धर्म और जैन धर्म जिन सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक परिस्थितियों में पनपे व फैले, प्राय: वैसी ही मिलती-जुलती स्थितियों से सिख धर्म को भी लाँधना पड़ा था। जाति-पाँति की कृत्रिम सीमाओं को जिस प्रकार महात्मा बुद्ध और भगवान् महावीर ने अस्वीकार किया था, ठीक उसी तरह ही सिख गुरुओं के भक्तों और श्रद्धालुओं में भी ऊँच-नीच, सुवर्ण-दलित और हिंदू-मुस्लिम सभी जातियों के लोग समान रूप से शामिल थे। सिख धार्मिक ग्रन्थ - सखमणी साहिब की तीसरी अष्टपदी में - "जैन मारग संजम अति साधन" का उल्लेख मिलता है, वहीं अनेक जैन धर्मावलम्बी भी महान सिख गुरुओं के समर्पित भक्त और विनम्र श्रद्धालु रहे हैं। दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का तो जन्म ही पटना के एक संभ्रान्त जैन, सालस राय जौहरी की हवेली में हुआ था। यही हवेली अब तख्त श्री हरमन्दिर साहेब, पटना के सौम्य, व्यापक और प्रभावक रूप में, सिख धर्म के दसवें गुरु, खालसा पंथ के प्रवर्तक श्री गोविंद सिंह जी की जन्म भूमि होने से संसार भर के सिखों के लिए महान तीर्थ बनी हुई है। गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म पटना में सालस राय जौहरी की इसी हवेली में पौष शुदि सप्तमी, वि०सं० १७२३ (२२ दिसम्बर, १६६६ ई०) को हुआ। गुरु गोविंद सिंह के पिता, नवम गुरु श्री तेग बहादुर, धर्म प्रचार के लिए प्रयाग, वाराणसी और मोक्षधाम गया की यात्रा करते हुए १६६६ ई० में पटना साहिब आए थे। उनके साथ गुरु जी की माता 'नानकी जी', धर्मपत्नी गुजरी बाई, उनके भाई कृपाल चन्द और कई दरबारी सिख भी थे। इन सभी को अपने परम भक्त व श्रद्धालु सालस राय जौहरी की हवेली में छोड़ कर वे खुद बंगाल और आसाम चले गए थे। मुंगेर पहुँच कर पटना की संगत के नाम एक सन्देश (हुक्मनामा) जारी किया और परिवार को इसी हवेली में रखने का आशीर्वाद दिया। इसी हुक्मनामा में पटना को “गुरु का घर' कहा गया। * २६३, सेक्टर - १०, पंचकूला, (हरियाणा) - १३४१०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525051
Book TitleSramana 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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