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________________ षड्विध वक्रोक्ति के अन्तर्गत आते हैं।१६ रस, अलंकार, उक्ति वैचित्र, औचित्य एवं मार्गत्रयसुकुमार, विचित्र और मध्यम भी काव्य चमत्कार के सृजन के लिए आवश्यक हैं।१७ मम्मट ने वाच्यर्थ के अपेक्षा व्यंग्यार्थ को उत्तमकाव्य के लिए अत्यधिक उपयुक्त माना है।८ भक्त कवि जगद्धरभट्ट ने शिव की स्तुति करते समय उत्तम काव्य के प्रतिमानों का निर्देश किया है - ओजस्वी मधुरः प्रसादविशद: संस्कारशुद्धोभिधा - भक्तिव्यक्तिविशिष्टरीतिरुचितैरर्थेभृतालंकृतिः। वृत्तस्थः परिपाकवानविरसः सद्वृत्तिरप्राकृतः शस्य कस्य न सत्कविर्भुवि यथा तस्यैव सूक्तिक्रमः ।।१९ अर्थात् ओज, प्रसाद एवं माधुर्य गुणों का सद्भाव, विशुद्धसंस्कार-युक्त भाषा, विशिष्ट-रीति-सम्पन्नता, सरसता, अलंकार युक्तता, अभिधाशक्ति के साथ लक्षणा और व्यंजना का सद्भाव, सुन्दर छन्दों का समावेश, कैशिकी आदि वृत्तियों का निवेश एवं उक्ति चमत्कार उत्कृष्ट काव्य के लिए आवश्यक प्रतिमान हैं। उपर्युक्त मतों के समालोचना से उत्तम काव्य के लिए निम्नलिखित तत्त्व आवश्यक हैं - १. माधुर्यादि गुणों का सत्रिवेश, २. शुद्ध संस्कार युक्तभाषा, ३. अलंकारों का प्रयोग, ४. चमत्कारजन्यता, ५. आह्लादकता, ६. सुकुमारता, ७. भावों की अभिव्यंजना, ८. वैदर्भादि रीतियों का प्रयोग, ९. समरस छन्दों का समावेश, १०. उक्ति वैचित्र्य, ११. चित्रात्मकता, १२. सरल एवं सहृदयाह्लादक शब्दों का उचित विन्यास, १३. अदोषता, १४. मार्गत्रय की योजना, १५. अभिधा के साथ लक्षणा व व्यंजना का सद्भाव, १६. कोमलता, १७. रसमयता, १८. मार्मिकता, १९. संक्षिप्तता, २०. स्वाभाविक अभिव्यक्ति, २१. भावातिरेकता, २२. छन्दोजन्य नाद माधुर्य, २३. भावानुकूल वातावरण, २४. सूक्ष्म संवेदना। वज्जालग्गं में उत्तम काव्य के उत्थापक सभी तत्व एकत्र समाहित हैं। भावों की स्वाभाविक अभिव्यक्ति एवं सहत सम्प्रेषणीयता, भाषा की सरलता, समरसता एवं संवेद्यता, छन्दालंकारों का समुचित प्रयोग, रीति, गुणादि की योजना, अन्तर्वेदना, कल्पना चारुता, सूक्ष्मसंवेदना आदि गुण सर्वत्र विद्यमान हैं। वज्जालग्गं में काव्य सौन्दर्य एवं अलंकार योजना - व्यावहारिक जीवन में साज-सज्जा एवं भव्य रूप सौन्दर्य के द्वारा दूसरे की धारणा को प्रभावित करने की प्रवृत्ति जनसामान्य में पायी जाती है। अपार काव्य संसार में भी काव्य की सुमधुर उक्तियों
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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