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________________ खरतरगच्छ बेगड़शाखा का इतिहास - शिवप्रसाद * विश्व के प्रायः सभी धर्म और सम्प्रदाय समय-समय पर विभिन्न शाखाओंप्रशाखाओं में विभाजित होते रहे हैं। निर्ग्रन्थ परम्परा के श्वेताम्बर सम्प्रदाय में चन्द्रकुल से उद्भूत खरतरगच्छ में भी समय-समय पर अस्तित्त्व में आये विभिन्न शाखाओं में बेगडशाखा भी एक है। यह शाखा वि०सं० १४२० में अस्तित्त्व में आयी । आचार्य जिनचन्द्रसूरि 'चतुर्थ' के शिष्य आचार्य जिनेश्वरसूरि इस शाखा के प्रवर्तक माने जाते हैं। इस शाखा के बेगड़ नाम पड़ने के सम्बन्ध में दो मान्यतायें प्रचलित हैं। प्रथम यह कि आचार्य जिनेश्वरसूरि बेगड़ - छाजहड़ गोत्रीय थे, अतः उनकी शिष्यसंतति बेगड़शाखा के नाम से जानी गयी। इसी प्रकार दूसरी मान्यता के अनुसार गुजरात के सुल्तान महमूद इसे प्रसन्न होकर इन्हें 'बेगड़' विरुद् प्रदान किया जो बाद में इनकी शिष्य सन्तति के साथ जुड़ गया । २ गुजरात के सुलतान महमूद बेगड़ा का शासनकाल ई० सन् १४५८ - १५११ सुनिश्चित है। अतः खरतरगच्छ की इस शाखा के प्रवर्तक आचार्य जिनेश्वरसूरि और महमूद बेगड़ा की समसामयिकता असंभव है। ऐसी स्थिति में इस शाखा बेगड़ नामकरण के सम्बन्ध में प्रचलित प्रथम मान्यता सही प्रतीत होती है। अ बेगड़शाखा के इतिहास के अध्ययन के लिये पर्याप्त संख्या में साहित्यिक (ग्रन्थ और पुस्तक प्रशस्तियां) और अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध हैं। साम्प्रत निबन्ध में उपलब्ध सभी साक्ष्यों का पूर्ण उपयोग करते हुए इस शाखा के इतिहास पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। बेगड़शाखा के आदिपुरुष आचार्य जिनेश्वरसूरि द्वारा रचित यद्यपि कोई कृति नहीं मिलती, किन्तु इनकी परम्परा के परवर्ती रचनाकारों ने अपनी कृतियों की प्रशस्तियों में अपने पूर्वज के रूप में इनका सादर उल्लेख किया है । वि० सं० १४२५/ ई० सन् १३६९ के दो प्रतिमालेखों में प्रतिमा प्रतिष्ठापक के रूप में जिनचन्द्रसूरि के शिष्य आचार्य जिनेश्वरसूरि का उल्लेख मिलता है। इनमें से एक प्रतिमा महावीर की है जो बीकानेर स्थित चिन्तामणि पार्श्वनाथ जिनालय में संरक्षित है। श्री अगरचंद भँवरलाल नाहटा ने इसकी वाचना दी है, जो इस प्रकार है: * सं० १४२५ वर्षे वैशाख सुदि ११ शुक्रवार श्री महावीर बिबं पिता मं० झाझण माता धाधलदे पुण्यार्थं कारिता महं वेराके श्रीखरतरगच्छीय श्रीजिनचन्द्रसूरि शिष्यैः श्रीजिनेश्वरसूरिभिः प्रतिष्ठितं ।। प्रवक्ता, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी.
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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