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________________ ६८. करते हैं। संघ-दर्शन के नामपर रात बे-रात गाड़ियाँ भगाते हैं। संतों का दर्शन ३० मिनट का और विराधना ३० घंटे की। फिर उस पर दर्शन का गर्व जताते हैं। क्योंकि स्पेशल गाड़ी लेकर गये। सार्वजनिक वाहन का उपयोग करते तो ठीक होता) आज आधुनिक विज्ञान ने वनस्पति के बारे में जो उपलब्धियाँ पायी हैं; वे सब भगवान् महावीर ने पहले ही प्रस्तुत की हैं। भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु ने यंत्र द्वारा वनस्पति पर प्रयोग किये और सिद्ध किया कि उसमें संवेदनशीलता है। संगीत, प्रेम और सहानुभूति को वनस्पति स्वीकार करती है। भगवान महावीर ने जम्बू स्वामी से फर्माया, वनस्पति में सजीवता है। जैसे शरीर जन्मता है बढ़ता है वैसे ही वनस्पति जन्मती है विकसित होती है। शरीर के विकास के लिये जिस प्रकार अन्न की आवश्यकता है, उसी प्रकार वनस्पति को भी पानी, खाद, सूर्य के प्रकाश रूप भोजन की आवश्यकता है। शरीर का कोई अवयव शरीर से कट जाता है तो सूख जाता है उसी प्रकार वनस्पति भी कटने पर सूख जाती है। शरीर सचित्त है वनस्पति भी सचित्त है। शरीर अशाश्वत है मृत्यु को प्राप्त होता है वनस्पति भी नश्वर है।५ बसु का मंशोधन भी यही बताता है। गुणभाव पर्याय सब विधाओं से मनुष्य और वनस्पति में समानता है। इसलिये वनस्पति पर शस्त्राघात हिंसा है और वह अपनी स्वयं की है। सृष्टिचक्र के अनुसार वनस्पति प्राणवायु उत्सर्जित करती है; जो प्राणी के लिये जरूरी है। वनस्पति को तोड़ना अर्थात अपने प्राण की क्षति करना है। बेशुमार जंगल कटने से जमीन खुल जाती है; उसका कसाव कम हो जाता है। जब तेज हवा चलती है तो जमीन की ऊपरी पर्त हवा से उड़ जाती है। बरसात का पानी जो पहले पेड़ पर पड़कर जमीन पर गिरता था वह वृक्ष कटने के कारण धड़ल्ले से जमीन पर गिरता है। पानी के तेज बहाव में मिट्टी बह जाती है कारण पेड़ की जड़ें पेड़ कटने के कारण उखड़ गयी हैं। इसलिए जमीन बंजर बनती जा रही है। नदी पर बने बांधों के कारण मिट्टी तालाब में पड़ी रहती है। हालाँकि नदी का तटवर्ती प्रदेश अधिक उपजाऊ बनता था। जमीन में रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ती जा रही है जिससे जमीन क्षारीय बन रही है। ईंधन के लिये वृक्ष कटते हैं। फर्नीचर आदि के लिये वृक्ष कटते हैं। किसी खुली जगह पर घर बनवाना है और उस जगह में कोई पेड़ है तो उसे भी काटते हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के निर्माण के समय पं० मदनमोहन मालवीय ने भवन का आकार बदल दिया परंतु पेड़ नहीं काटे। ग्रीटिंग कार्डस्, विवाहादि की निमंत्रण पत्रिका जो आर्टपेपर पर छपती है, उसके लिये चिकने पेड़ कटते हैं। शास्त्र का उचित ज्ञान न होने से ये हिंसा बढ़ती है। प्रदूषण बढ़ता है। पर्यावरण दूषित होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525049
Book TitleSramana 2003 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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